जौनपुर में मनाई गयी महान स्वतंत्रता सेनानी दुर्गा भाभी की 116 वीं जयंती
जौनपुर, अमृत विचार। जिले के पवांरा के सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर आज हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी और लक्ष्मी बाई ब्रिगेड ने महान क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दुर्गा भाभी की 116 वीं जयंती मनायी । कार्यकर्ताओ ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जालाया और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
लक्ष्मीबाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा की पत्नी दुर्गा देवी, जो क्रांतिकारियों के बीच दुर्गा भाभी के नाम से प्रसिद्द थीं, का आज जन्मदिवस है । सात अक्टूबर 1907 को इलाहाबाद के एक न्यायाधीश के यहाँ जन्मी दुर्गा का विवाह ग्यारह वर्ष की आयु में नेशनल कालेज लाहौर के विद्यार्थी पन्द्रह वर्षीय भगवतीचरण वोहरा से हो गया जो पूर्णरूपेण क्रान्तिभाव से भरे हुए थे । दुर्गा देवी भी आस-पास के क्रांतिकारी वातावरण के कारण उसी में रम गईं थी। सुशीला दीदी को वे अपनी ननद मानती थीं। उन्होंने कहा कि नौजवान भारत सभा की सक्रिय सदस्य दुर्गा भाभी उस समय चर्चा में आयीं, जब नौजवान सभा ने 16 नवम्बर 1926 को अमर शहीद करतार सिंह सराबा की शहादत का ग्यारहवीं वर्षगाँठ मनाने का निश्चय किया, जिन्हें मात्र 19 वर्ष की आयु में फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया था क्योंकि उन्होंने 1857 की क्रान्ति की तर्ज पर अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिकों में विद्रोह की भावना उत्पन्न करके देश को आज़ाद कराने की योजना बनायी थी और इस हेतु अथक कार्य किये थे।
भगतसिंह और दुर्गा भाभी के लिए सराभा सर्वकालीन नायक थे और देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने की प्रेरणा इन्हें सराभा से ही मिलती थी। सुश्री कौर ने कहा कि शहीदी दिवस वाले दिन नौजवान सभा के कार्यक्रम में दो युवतियों द्वारा अपने खून से बनाये गए सराभा के आदमकद चित्र का अनावरण किया गया और ये दोनों युवतियां थीं-दुर्गा भाभी और सुशीला दीदी। जब भगत सिंह ने चंडी को समर्पित अपने जोशीले व्याख्यान को समाप्त किया और सशस्त्र संघर्ष के जरिये अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने का संकल्प किया, दुर्गा भाभी ने उठ कर उन्हें तिलक लगाया, आशीर्वाद दिया और उनके उद्देश्य में सफलता की कामना की। यहाँ से भगतसिंह और उनके बीच जो प्रगाढ़ता उत्पन्न हुयी, उसे भगतसिंह की मृत्यु भी नहीं तोड़ पायी और वो हमेशा उन्हें याद करती रहीं। भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव की त्रिमूर्ति समेत सभी क्रांतिकारी उन्हें भाभी मानते थे।
उन्होंने कहा कि साण्डर्स वध के पश्चात् भगत सिंह और राजगुरु को पुलिस से बचा कर लखनऊ लाने में दुर्गा भाभी का योगदान और साहस कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर डॉ़ धरम सिंह , मैनेजर पांडेय , अनिरुद्ध सिंह , विनोद , दिशा व मंजीत कौर सहित अनेक लोग मौजूद रहे ।
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