लखनऊ : आईएसआईसीपीएम के राष्ट्रीय सम्मेलन का डिप्टी सीएम ने किया उद्घाटन

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग ने इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटेंसिव केयर एंड पेरिऑपरेटिव मेडिसिन (आईएसआईसीपीएम) के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। तीन दिवसीय इस आयोजन का शनिवार को उत्तर प्रदेश के  उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उद्घाटन किया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की तरफ से पेरिऑपरेटिव चिकित्सा शुरू करने पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि एसजीपीजीआई को इसका नेतृत्व करना चाहिए और सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करना चाहिए ताकि पेरिऑपरेटिव चिकित्सा शुरू की जा सके। जरूरतमंद मरीजों को जल्द से जल्द लाभ पहुंचाया जाए।  इसके लिए उन्होंने हर संभव मदद करने का वादा भी किया है।

प्रोफेसर आरके धीमन ने कहा कि एसजीपीजीआई को देश में पहली बार आधा दर्जन से अधिक नई विशिष्टताओं और सुपर विशिष्टताओं को शुरू करने का अनूठा विशेषाधिकार प्राप्त है, जिन्हें राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद द्वारा मान्यता दी गई है और बाद में विभिन्न अन्य चिकित्सा संस्थानों द्वारा इसका अनुकरण किया गया है। इस बार फिर एनेस्थिसियोलॉजी विभाग भारत में पहली बार पेरीऑपरेटिव मेडिसिन की एक नई उप-विशेषता शुरू करने में अग्रणी बनने जा रहा है। इसके लिए उन्होंने कहा कि पेरीऑपरेटिव मेडिसिन वार्ड शुरू करने के लिए आवश्यक स्थान/वार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।

क्या है पेरिऑपरेटिव मेडिसिन

सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रोफेसर पुनीत गोयल ने बताया कि  एसजीपीजीआई में गंभीर मरीज सर्जरी के लिए आते हैं। जिसमें से बहुत से मरीज अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा, सीओपीडी, कोरोनरी धमनी रोग और अन्य प्रणालीगत विकार से पीड़ित होते हैं। ऐसे मरीजों को अपनी चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग में भटकना पड़ता है और सर्जरी के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे रोगियों को एक पेरिऑपरेटिव चिकित्सक की देखरेख में भर्ती किया जा सकता है जो सभी संबंधित चिकित्सा समस्याओं का ध्यान रखता है और रोगी को सर्जरी के लिए तैयार करता है। उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन एनेस्थिसियोलॉजी विभाग में हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों को एक छत के नीचे इलाज मिल सके। जिससे उनकों भटकना न पड़े। इसको लेकर एक प्रोटोकॉल यानी की नियम बनाया जा रहा है। जिससे इलाज का मानक निर्धारित हो सके। 

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