World Arthritis Day 2023 : किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता अर्थराइटिस, जानिए बीमारी का कारण
रामपुर, अमृत विचार। प्रत्येक वर्ष 12 अक्टूबर का दिन वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के रूप में मनाया जाता है। अर्थराइटिस ज्यादातर बुजुर्गों में होती है, लेकिन हर उम्र का व्यक्ति इससे ग्रस्त हो रहा है। अर्थराइटिस के शिकार इंसान के लिए चलना, दौड़ना और सीढ़ियां चढ़ना काफी कष्टकारक होता है। अर्थराइटिस में जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है। ऐसी स्थिति है दिनचर्या में शामिल सामान्य कार्य को करना भी मुश्किल हो जाता है। इस खतरे को कम करने और इसके बारे में जागरूक करने के लिए हर साल वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाया जाता है। बुधवार को सीएमएस एच के मित्रा (हड्डी रोग विशेषज्ञ) से अमृत विचार के वरिष्ठ संवाददाता ने अर्थराइटिस के बारे में विचार-विमर्श किया। पेश बातचीत के प्रमुख अंश।

अर्थराइटिस क्या है?
अर्थराइटिस में जोड़ों में दर्द और सूजन आ जाती है। हालांकि ज्यादातर लोग इसे घुटनों की समस्या के नाम से जानते हैं। जबकि यह उंगलियों और हाथ के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकती है। अर्थराइटिस के शिकार हुए व्यक्ति को चलना तक दुश्वार हो जाता है। यह समस्या ज्यादातर उम्रदराज व्यक्तिओं को होती है। लेकिन मौजूदा समय में अनियमित जीवन शैली के कारण कई लोगों में 40 से कम आयु में भी अर्थराइटिस की समस्या देखी जा रही है। ऐसे में खानपान को लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
अर्थराइटिस के क्या लक्षण हैं, और इसकी पहचान कैसे करें?
लंबे समय तक जोड़ों में दर्द की समस्या बने रहना, जोड़ों में सूजन और लालिमा रहना, थोड़ी दूर चलने या सीढ़ियां चढ़ने तक में कठिनाई जोड़ों में दर्द होना आदि अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं। अगर, इस तरह की समस्या महसूस होती है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। कुछ लोगों में यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है जबकि कुछ को अचानक से ही दिक्कतें होनी शुरू हो जाती हैं।
अर्थराइटिस की समस्या क्यों होती है?
उम्र बढ़ने और जीवनशैली में गड़बड़ी के अलावा, घुटनों में चोट के कारण भी यह समस्या विकसित होने लगती है। यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। अर्थराइटिस के पीछे आहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है। अधिक मात्रा में मांसाहारी और अत्यधिक मसालेदार भोजन शराब आदि के सेवन ले शरीर में आई चयापचय में खराबी के कारण और मोटापा के कारण भी अर्थराइटिस होता है।
इसका इलाज और बचाव के तरीके क्या हैं?
शरीर का वजन कम रखें, सर्दियों में हल्दी का दूध, गुड़, मूंगफली आदि का सेवन करें। जिससे शरीर गर्म रहे। शरीर का मूवमेंट न रोकें। एक जगह बैठे न रहें। नियमित व्यायाम करें। जोड़ों में तेल की मसाज करें। फैट बढ़ाने वाली चीजों का सेवन न करें। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम का सेवन बहुत जरूरी होता है। ड्राइ फ्रूट्स का सेवन जरूर करें।
क्या अर्थराइटिस की बीमारी बुढ़ापे में होती है?
अर्थराइटिस की समस्या बुजुर्गों में हो ऐसा जरूरी नहीं, अर्थराइटिस किसी भी उम्र में व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है। रुमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा 30 की उम्र के बाद बढ़ जाता है।
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