बरेली: 'बांस मंडी' से खो गया बांस का कारोबार...कभी थी धाक, अब सिर्फ एक व्यापारी 

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Published By Ashpreet
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बरेली अमृत विचार। बरेली जिसे बांस बरेली के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह है कि यहां कभी बांस के 100 से अधिक व्यापारी पीढ़ी दर पीढ़ी बांस का कारोबार बड़े पैमाने पर किया करते थे। शहर में बांस मंडी बांस का बहुत बड़ा बाजार हुआ करती थी, जहां के बने बांस का सामान पूरे देश भर में लोकप्रिय हैं।

पर शहर में इसका कारोबार कम हो चुका है। कहने को तो बांस मंडी में 140 से अधिक दुकानें है, लेकिन अब यहां सिर्फ एक ही बांस का व्यापारी है। जो कई पीढ़ियों से बांस का व्यापार कर रहे हैं।  

नाम 'बांस मंडी'...लेकिन अब लकड़ी का कारोबार
किसी समय बांस मंडी में सिर्फ बांस का ही कारोबार हुआ करता था। दूरदराज के लोग यहां बांस का बना सामान खरीदने पहुंचते थे। इसके अलावा देश-विदेशों में भी यहां बने सामान का बड़ी मात्रा में निर्यात होता था। लेकिन बदलते वक्त के साथ तमाम कारोबारियों ने बांस का व्यापार बंद करके दूसरा कारोबार शुरू कर दिया, जबकि कुछ कारोबारियों की अगली पीढ़ी को बांस का कारोबार नहीं भाया।

जिसके चलते बांस मंडी के नाम से मशहूर इस मंडी में अब सिर्फ एक ही बांस के व्यापारी बचे हैं। जो अपना पुश्तैनी काम संभाले हुए हैं। आलम ये है बांस मंडी में अब बांस की जगह लकड़ी के कारोबार ने ले ली है, यहां दुकानों पर लकड़ी से बनीं तमाम चीजें आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन बांस की सिर्फ एक ही दुकान बची है।   

बांस के 8 कारीगरों को दिया रोजगार
बांस मंडी में एकमात्र बांस कारोबारी शाकिब हुसैन ने अपने कारखाने में आठ बांस का सामान बनाने वाले कारीगारों को रोजगार दिया हुआ है। एक कारीगर रोजाना घर के साज-सज्जा के चार से पांच और अन्य सामान बना लेते हैं।

जिनमें बांस का सोफा, बांस का झूला, टेबल, रैक, कुर्सी, सीढ़ी, टोकरी, खिलौने और जाल आदि जैसी चीजें भी शामिल हैं। आठ कारीगर दिन भर में मिलकर 10 से 12 हजार तक का सामान बना लेते हैं, जिससे उनके घर का खर्च भी आसानी से चल जाता है। 

बांस का कारोबार हमारा पुस्तैनी कारोबार है। कोरोना के समय कारोबार कम हो गया था। जिसकी वजह से भी कई व्यापारियों ने इसका कारोबार बंद कर दिया था। अब इसकी बाजार में मांग फिर से बढ़ गई है। -शाकिब हुसैन, बांस व्यापारी

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