मुरादाबाद : स्वीकृत पद के आधे हैं पुलिसकर्मी, यातायात प्रबंध चुनौती
टीएसआई के स्वीकृत 48 पद के सापेक्ष केवल 20 की तैनाती, कांस्टेबल के भी 148 पदों के सापेक्ष कार्यरत हैं सिर्फ 62
मुरादाबाद,अमृत विचार। महानगर की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। आबादी करीब 10 लाख से अधिक है। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहनों का आवागमन रहता है। यातायात की व्यवस्था की निगरानी करने वाले यातायात पुलिस की फौज में टीएसआई जैसे महत्वपूर्ण पद आधे से अधिक खाली हैं। कांस्टेबल के स्वीकृत 148 पदों में से केवल 62 की तैनाती हैं। इससे सुचारू यातायात प्रबंधन चुनौती बन रहा है।
यातायात पुलिस में 48 टीएसआई के पद स्वीकृत हैं। पहले 20 पद स्वीकृत थे। लेकिन, कुछ दिन पहले पदों की संख्या बढ़ाकर 48 हो गई है। जिससे वर्तमान में केवल 20 टीएसआई ही कार्यरत हैं। यही स्थिति कांस्टेबलों की भी है। स्वीकृत 148 पदों में से 62 की तैनाती है। ऐसे में आधे मानव संसाधन से महानगर की यातायात व्यवस्था को संभालना टेढ़ी खीर बन रही है। किसी भी बड़े आयोजन या वीवीआईपी कार्यक्रम पर आसपास के जिलों से मदद लेनी पड़ती है।
यातायात नियमों की अनदेखी कर रहे युवा
महानगर की सड़कों पर नियमों की अनदेखी कर युवा फर्राटा भर रहे हैं। वाहनों की रफ्तार बढ़ाकर सड़कों पर स्टंट करने वाले युवा दूसरों की जान के दुश्मन बन रहे हैं। कांठ रोड पर एक बाइक पर तीन से चार युवा धड़ल्ले से फर्राटा भर रहे हैं लेकिन, यातायात पुलिस कर्मी उन्हें रोकने की बजाय बाहरी गाड़ियों के नंबर देखकर उनकी जांच में जुटे रहते हैं। लोकल नंबर के वाहन पर नियम का पालन कराने में वह पीछे रहते हैं।
कांस्टेबल की अधिक कमी
महानगर की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहनों का आवागमन होता है। यातायात प्रबंधन के लिए स्वीकृत पद के सापेक्ष 86 कांस्टेबल कम हैं। लोगों का कहना है कि यातायात पुलिस कर्मियों की संख्या और अत्याधुनिक संसाधन से ही व्यवस्था बेहतर हो सकती है।
टीआई व हेड कांस्टेबल की संख्या पद से अधिक
यातायात पुलिस में टीआई के तीन पद स्वीकृत हैं। लेकिन, वर्तमान में पांच टीआई की तैनाती है। हेड कांस्टेबल के 54 पद स्वीकृत के सापेक्ष 64 तैनात हैं।
जाम नियंत्रित करने में छूटता है पसीना
महानगर में किसी प्रतियोगी परीक्षा, वीवीआईपी के आगमन और स्कूल-कॉलेजों के छुट्टी के समय लगने वाले जाम को नियंत्रित करने में यातायात पुलिस कर्मियों के पसीने छूट जाते हैं। सड़कों पर अधिकांश होमगार्ड्स ही व्यवस्था संभालते दिखते हैं। जिन पर धौंस जमाकर स्थानीय वाहन चालक नियमों की अनदेखी कर निकल जाते हैं। ऐसे समय जिम्मेदारी निभाने के लिए कार्मिकों की कमी खलती है।
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