कौशांबी: जिले में मनाया गया चक्रवर्ती सम्राट अशोक विजय दशमी का पर्व

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Published By Sachin Sharma
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कौशाम्बी। बुद्ध की तपोभूमि आज कौशांबी जिले के नाम से जाना जाता है। 25 अक्टूबर दिन बुधवार को सुबह 10 बजे करारी छपरा बाग से मोटर साइकिल से चक्रवर्ती सम्राट अशोक विजय धम्म शोभा यात्रा प्रारम्भ होगा। यह यात्रा प्रारंभ होकर दरियापुर, समदा, मंझनपुर, ओसा, बेनीराम कटरा, सराय अकिल होते हुए शाम 6 बजे राजा उदयन की राजधानी कौशांबी में धम्म शोभा यात्रा का समापन किया जायेगा।

बताते चलें कि बल्लहा बिंदास नगर करारी, मंझनपुर कौशांबी में चक्रवर्ती सम्राट अशोक धम्म विजय दशमी के पावन पर्व पर हर वर्ष की भांति इस बार भी ग्यारहवां वर्ष है जो कि लगातार वक्ताओं, नाटक, संगीत के माध्यम से बुद्ध कथा का आयोजन किया जाता रहा है, जिसमे भारी संख्या में लोग बुद्ध कथा का आनंद लेते हैं। यह कार्यक्रम शाम सात बजे से प्रारंभ होता है रात्रि लगभग 12बजे तक चलता रहता है। कमेटी का बहुत ही सराहनीय कार्य के चलते बुद्ध का कथा में किसी भी तरह से किसी को कोई परेशानी नहीं आती है।

अशोक विजय दशमी सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध में विजयी होने के दसवें दिन तक मनाये जाने के कारण इसे अशोक विजय दशमी कहते हैं। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। ऐतिहासिक सत्यता है कि महाराजा अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाने की घोषणा कर दी थी। बौद्ध बन जाने पर वह बौद्ध स्थलों की यात्राओं पर गए। तथागत गौतम बुद्ध के जीवन को चरितार्थ करने तथा अपने जीवन को कृतार्थ करने के निमित्त हजारों स्तंभों शिलालेखों व धम्म स्तम्भों का निर्माण कराया।

सम्राट अशोक के इस धार्मिक परिवर्तन से खुश होकर देश की जनता ने उन सभी स्मारकों को सजाया और संवारा तथा उस पर दीपोत्सव किया । यह आयोजन हर्षोलास के साथ दस दिनों तक चलता रहा, दसवें दिन महाराजा ने राज परिवार के साथ पूज्य भंते मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म दीक्षा ग्रहण की था। धम्म दीक्षा के उपरांत महाराजा ने प्रतिज्ञा की थी, कि आज के बाद मैं शास्त्रों से नहीं बल्कि शांति और अहिंसा से प्राणी मात्र के दिलों पर विजय प्राप्त करूँगा। इसीलिए सम्पूर्ण बौद्ध जगत इसे अशोक विजय दशमी के रूप में मनाता है।

इसी तरह बीजेपी जिला अध्यक्ष धर्मराज मौर्य के अध्यक्षता में कौशाम्बी में धम्म विजय दशमी का पर्व मनाया गया। बता दे कि धम्म का तात्पर्य( एक अटल सत्य से है)। माना जाता है कि जब सम्राट अशोक ने कलिंग युध्द के बाद विजय प्राप्त किया था...नरसंहार के बाद उसका हृदय परिवर्तित हुआ और उसने बौध्द धर्म अपना लिया और इसी के उपलक्ष्य में धम्म विजय दशमी मनाई जाती है। धम्म के प्रचार प्रसार के लिए 84 हजार शिला लेख गड़वाये गए थे।

जनता के कल्याण के लिए श्लोक लिखवाए। अशोक स्तंभ पर जो चारों तरफ सिंह का चिन्ह है वह विश्व विजेता का प्रतीक है। आज इस धम्म विजय दशमी के पर्व पर बौद्ध नगरी कौशाम्बी में सम्राट अशोक विजय दशमी का पर्व मनाया गया । इसमे मुख्य अतिथि के रूप में को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष शिवमोहन मौर्य ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए अपने सम्बोधन में  कहा कि हम सभी को बुराइयों को त्याग कर नेक राह पर चलना चहिये जिससे लोगों का कल्याण हो सके और आमजन के बीच सुख, शान्ती कायम रहे।

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