हल्द्वानी: मछली आखेट के लिए उत्तराखंड की यह जगह है खास, हजारों विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं हर साल
हल्द्वानी, अमृत विचार। सरयू और काली नदी के संगम पर स्थित पंचेश्वर का छोटा सा गांव, प्रसिद्ध पंचेश्वर महादेव मंदिर का घर है। यह गांव उत्तराखंड के चंपावत जिले में लोहाघाट के करीब है। प्राचीन मंदिर, जिसे चौमू मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, इस खूबसूरत आकर्षण की महिमा में सात सितारे जोड़ता है।
भारत और नेपाल की सीमा पर होने के कारण, यह स्थान पर्यटकों को खासा पसंद है। यह जगह न केवल सुंदरता और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि रोमांच का भी प्रतीक है। यह आपको मछली पकड़ने और राफ्टिंग अभियानों का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करता है।
चौमू जाट यात्रा और वार्षिक उत्तरायणी मेले के दौरान हजारों भक्त चामू मंदिर आते हैं। लोहाघाट या एबट माउंट आवास के लिए आपका पसंदीदा स्थान होना चाहिए, दोनों पंचेश्वर से 40 किमी से कम दूर हैं।
पंचेश्वर स्थित महाकाली नदी महाशीर मछली के आखेट के लिए प्रसिद्ध है। यहां देशी विदेशी पर्यटक हर साल मत्स्य आखेट के लिए पहुंचते हैं जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। काली, गोरी, धौली, सरयू और रामगंगा इन पांच नदियों के संगम को पंचेश्वर नाम से जाना जाता है। पांच नदियों का संगम स्थल और आसपास का क्षेत्र मत्स्य आखेट के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध रहा है। यहां दुर्लभ प्रजाति की गोल्डन महाशीर के आखेट के लिए बड़ी संख्या में देश और विदेश से लोग पहुंचते हैं।
बरसात और ठंड के सीजन को छोड़कर साल में सात माह तक यहां एंगलिंग की जाती है। यहां पकड़ी गई मछलियों का वजन मापने और टैग लगाने के बाद उन्हें वापस पानी में ही छोड़ दिया जाता है। वर्ष 2018 में पहली बार 84 पाउंड वजन की गोल्डन महाशीर मछली पकड़ी गई थी जो रिकार्ड है।
युवक मंगलदल मल्ला खायकोट (पंथ्यूड़ा) के अध्यक्ष होशियार सिंह ने पहली बार यह कामयाबी पाई थी। इससे पूर्व तक यहां न्यूजीलैंड के एंगलर क्रिस्ट्रोफर के नाम सर्वाधिक 67 पाउंड वजनी महाशीर पकडऩे का रिकार्ड दर्ज था। बहरहाल आपको भी मछली पकड़ने का शौक है तो आपके लिए यह जगह मुफीद है।
