पति-पत्नी के बीच अगाध प्रेम और निष्ठा का पर्व है करवाचौथ: प्रो. विनय कुमार पांडे
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विद्यार्थी विज्ञान संकल्प के ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि करवा चौथ पति और पत्नी के बीच के प्रेम को दर्शाने वाला बेहद निष्ठापूर्ण व श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्योहार है। आज पूरे देश में धूमधाम से इस त्योहार को मनाया जाता है। प्राचीनकाल से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती चली आ रही हैं।
इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती है और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करती है। उन्होंने बताया कि जब पांडव वनवास गए थे तो अर्जुन को शक्तियां अर्जित करने के लिए इंद्र खेल पर्वत पर गए तो द्रौपदी को अनायास ही चिंता सताने लगी। तब द्रौपदी ने उनकी आरोग्यता के लिए तथा उनके प्राण की रक्षा हो सके इसको लेकर द्रौपदी भगवान कृष्ण के पास पहुंचीं। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को वीरवती की कथा सुनाई। वीरवती ने अपने पति के प्राण 1 वर्ष बाद प्राप्त कर लिए थे इस व्रत के कारण।
द्रौपदी ने भी यह व्रत किया और अर्जुन उसे कठिन पर्वत से सकुशल वापस लौटे और शक्तियां अर्जित करते हुए लौटे। यही इस कथा का पारंपरिक आधार है। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने का सिर्फ और सिर्फ स्त्रियों को अधिकार है। जो भी पुरुष ये व्रत रखता है वो ठीक नहीं है।
इस व्रत में कथा इसलिए सुनाई जाती है जिससे की आपका विश्वास अडिग रहे। आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए यह कथा सुनाई जाती है। महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त से पहले यह व्रत प्रारंभ कर देना चाहिए और चंद्रमा को अर्घ देने के बाद पति की भी पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए तभी यह व्रत पूर्ण माना जाता है।
इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन व्रत रहती हैं और चंद्रमा को देखकर अपना व्रत का पारण करती हैं। उन्होंने बताया कि वाराणसी में चंद्रमा 8:00 बजे उदय होंगे उसके बाद महिलाएं चंद्रमा को और देकर पूजा कर सकती हैं।
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