भीमताल: तंत्र की बेरुखी से गरीबी का दंश झेल रहे तोक बैड़ी के निवासी
भीमताल, अमृत विचार। कल वहां खुशियां बरसती थीं, आज उनसे मुस्कान भी रूठ गई है। कल वह बच्चों की मुस्कान का सामान बेचते थे। आज वह मुस्कुराना भूल गए हैं। कभी वह अनाज रखने के टूपरे बनाया करते थे, आज दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए। यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। ग्राम सभा चक बहेड़ी स्थित तोक बैड़ी के लगभग 40 परिवार कभी अपने रिंगाल (एक प्रकार का बांस) के उत्पादों के लिए प्रदेश भर में मशहूर थे।
आज तोक के निवासी बेरोजगारी और भुखमरी का दंश झेलने को मजबूर हैं। दुनिया का विकास उनके विनाश का सबब बन गया। ज्ञातव्य है कि बैड़ी में रिंगाल के उत्पाद कभी भीमताल की शान हुआ करते थे। तब भीमताल, धारी, ओखलकांडा, भवाली, हल्द्वानी समेत तराई के संपूर्ण भांवर क्षेत्र प्रदेश के विभिन्न शहरों में बैड़ी के बने टोकरे, टूपरे (अनाज रखने के लिए बर्तन जिसको मिट्टी से लीपा जाता था ) चवरा (बच्चों का झूला ) डाला ( गोबर की सफाई करने वाला बर्तन ) खिलौने समेत अनेक लगभग दो दर्जन से भी अधिक उत्पादों की बड़ी मांग थी।
धीरे-धीरे आधुनिकता हावी होती गई और रिंगाल काटने पर वन विभाग के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। उत्पादन के लिए कच्चा माल नहीं मिलने से उत्पादन की मांग ना होने के कारण कारोबार ठप हो गया। अधिकांश कारीगरों ने उत्पाद बनाने बंद कर दिए, जो बना भी रहे उनके उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में अधिकांश कारीगर के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। स्थानीय निवासी व पूर्व सभासद लवेन्द्र रौतेला बताते हैं कि वर्तमान में गांव के अधिकांश कारीगर अपने अन्य कार्य में व्यस्त हो गए हैं। वही बताते हैं कि वर्तमान में बालकृष्ण, लीलाधर, बबीता देवी, भुवन आर्या, पूर्व सूबेदार इसमें रुचि ले भी रहे हैं तो बाजार नहीं मिल पा रहा रहा।
कारीगरों में उत्पाद के खरीदार नहीं मिलने और शासन की बेरुखी के कारण निराशा है। वहीं बताते हैं कि सरकार को चाहिए कि इस उद्योग को लघु उद्योग में दर्ज करें व सब्सिडी आदि का लाभ कारीगरों को दें। इस दौरान उन्होंने वन विभाग से भी अपने नियमों में शिथिलता बरतने का अनुरोध किया।
रिंगाल के उत्पाद काफी अच्छे हैं। शासन को चाहिए कि कारीगरों को उत्पादन के लिए अनुदान दे। उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराए। राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय बाजार में यह उत्पाद स्थान बनाने में सक्षम हैं।
-लवेन्द्र रौतेला, पूर्व सभासद
इसमें कोई संदेह नहीं कि उत्पाद काफी अच्छे हैं। इस संदर्भ में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा और उत्पाद को बाजार उपलब्ध हो इसका प्रयास किया जाएगा।
-अखिलेश सेमवाल, व्यापारी नेता
