Chhath Puja 2023: नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से… व्रती महिलाएं पूजन कर सूर्य को देंगी अर्घ्य

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से शुरू हो गया।

कानपुर में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व आज से शुरू हो गया। घाटों पर देर रात तक श्रद्धालुओं ने वेदियों का निर्माण किया। व्रती महिलाएं छठी मइया का पूजन कर सूर्य को अर्घ्य देंगी।

कानपुर, अमृत विचार। लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। अगले दिन खरना होगा फिर रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी। छठी मइया को विविध प्रकार के भोग अर्पित किए जाएंगे।

इसमें ठेकुआ और अनेक सब्जियां होंगी। 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं व्रत का पारण करेंगी। इस दौरान एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लेंगी। 

गुरुवार देर रात तक अर्मापुर, पनकी, सीटीआई, नौबस्ता, दबौली नहर घाटों के साथ ही सिद्धनाथ घाट, गंगा बैराज, गोला घाट, मैस्कर घाट समेत अन्य घाटों पर वेदियां बनाने के लिए लोग जुटे रहे।

अर्मापुर नहर घाट पर वेदी बनाने आईं शास्त्री नगर निवासी रुचिका ने कहा कि छठ मइया ने संतान की कामना पूरी की। यहीं बगल में वेदी बना रहीं प्रिया ने कहा कि मइया की कृपा से  शादी के दो साल में ही जुड़वा संतान हुई है, धूमधाम से पूजन करूंगी और श्रद्धालुओं को भंडारा भी खिलाऊंगी। 

संतान की सुख समृद्धि, दीर्घायु की कामना के लिए मनाए जाने वाले पर्व पर शहर में सात लाख से अधिक श्रद्धालु विभिन्न घाटों पर छठ मइया का पूजन करने पहुंचते हैं।

तमाम व्रती महिलाएं तो रात भर पानी में खड़े रहकर मइया की अर्चना करती हैं और सुबह जब सूर्योदय होता है तो भगवान को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करतीं हैं। घाटों को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। अर्मापुर और पनकी घाट स्थित सूर्य मंदिर को भी सजाया गया है। शुक्रवार को सेंधा नमक, घी से बना हुए अरवा चावल के भात और लौकी की सब्जी का सेवन कर इस पर्व की शुरुआत होगी।

नहाय खाय : सुहागिनें सेंधा नमक और घी से बना हुए अरवा चावल के भात और लौकी की सब्जी का सेवन प्रसाद स्वरूप ग्रहण करेंगी। घरों में पूजन के लिए छठ मइया को निमंत्रण दिया जाएगा। मइया की महिमा से जुड़े गीत गाए जाएंगे।

खरना : कार्तिक मास की पंचमी तिथि पर खरना होगा। महिलाएं दिन भर उपवास रखेंगी और फिर गन्ने के रस से बने चावल की खीर, दूध, चावल का पीठा ग्रहण करेंगी और फिर 36 घंटे के निर्जला व्रत का शुभारंभ होगा।

संध्या अर्घ्य : सुहागिनें घाटों पर आएंगी और वेदी पूजन के साथ छठी मइया का पूजन करेंगी। इसके बाद जल में उतरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगी। एक दूसरे की मांग भरेंगी और फिर घर वापस आएंगी। रात भर घरों में छठ मइया के गीत गाकर स्तुति होगी।

ऊषा अर्घ्य

20 नवंबर : ऊषा काल में छठी मइया का पूजन करने के साथ ही घाटों पर सूर्य भगवान का भी पूजन किया जाएगा। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही अदरक और ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण सुहागिनें करेंगी।

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