Kanpur News: क्रान्तिकारियो के मसीहा थे बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा…142वीं जयंती पर स्मारक की मांग

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में क्रान्तिकारियो के मसीहा थे बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा।

कानपुर में क्रान्तिकारियो के मसीहा थे बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा। 142वीं जयंती पर स्मारक की मांग।

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर की नायाब शख्सियत बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा की स्मृति में शहर में एक स्मारक होना चाहिए यह माँग कानपुर पंचायत के धर्मप्रकाश गुप्त ने की और उन्होंने कहा कि उनके साहित्य को समग्र रूप में पुन: प्रकाश में आना चाहिए । कानपुर इतिहास समिति के संस्थापक बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा की 142वी जयंती का आयोजन सोमवार को सिविल लाइंस में किया गया।


कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप शुक्ल ने कहा कि शीघ्र ही कानपुर का इतिहास भाग एक व भाग दो का तृतीय संस्करण वर्ष 2024 में आ रहा है । उन्होंने कहा कि कौंसिल के 1923 के चुनाव में बाबू नारायणप्रसाद अरोड़ा ने ही बाबू आनंद स्वरूप को भारी मतों से हराया था तिलक हाल स्थापित किया वह जितना कांग्रेस के प्रति समर्पित थे उतना ही वह क्रान्तिकारियो के मददगार भी थे।

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तिलकहाल के उद्घाटन अवसर पर महात्मा गांधी के साथ नारायण प्रसाद अरोड़ा।

सुभाष अरोड़ा ने कहा कि हमारे वंश की दो पीढ़ियों ने आजादी की लड़ाई मे हिस्सा लिया हमारे बाबा नारायण प्रसाद अरोड़ा और ताऊ अर्जुन अरोड़ा। बाबा ने 61 ग्रंथों का प्रणयन भी किया । जागरण कॉलेज के डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वह प्रताप पत्र के संस्थापक और संसार, ज्ञान व विक्रम पत्र भी प्रकाशित किया था।

हलीम मुस्लिम कॉलेज की डॉ. शालिनी मिश्रा ने कहा कि अरोड़ा जी की कानपुर इतिहास समिति ने एक दर्जन से अधिक कानपुर पर ग्रन्थ दिए है जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । श्याम अरोड़ा जी ने कहा कि अरोड़ा जी जैसे विराट व्यक्तित्व की स्मृति में बड़ा आयोजन हो उनकी याद मे शहर मे कोई स्मारक बनाया जाना चाहिए।

 विनोद टंडन ने कहा कि समिति कानपुर पर जो भी कार्य कर रही है वह सभी सराहनीय है। कलाविद गोपाल खन्ना ने कहा कि कानपुर के इतिहास का पुनरलेखन जरूरी है । महेंद्र विष्ट ने कानपुर के इतिहास को पाठयक्रम का अंग बनाने की मांग की । इस अवसर पर संगीता अरोड़ा व विजय कुमार उपथित रहे।

 

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