इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंग चार्ट तैयार करने के लिए जारी किए आवश्यक दिशा निर्देश

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंग-चार्ट तैयार करने के तरीके के बारे में अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कई मामलों में पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट ने गैंग-चार्ट को अग्रेषित/अनुमोदित किया है। पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ जिला मजिस्ट्रेट की ओर से यह लापरवाही एक ओर निर्दोष व्यक्ति की रक्षा करने में विफल रहती है और दूसरी ओर कट्टर अपराधियों और गैंगस्टरों को इस तरह की तकनीकी का लाभ मिलता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने सन्नी मिश्रा उर्फ संजायन कुमार मिश्रा के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 3(1) के अंतर्गत थाना राजघाट, गोरखपुर में दर्ज प्राथमिकी और गैंग चार्ट को रद्द करते हुए की। 

इसके साथ ही गैंगस्टर नियमावली, 2021 के अनुसार गैंग-चार्ट की तैयारी, अग्रेषण और अनुमोदन के संबंध में मुख्य सचिव द्वारा सभी जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त/एसएसपी/एसपी को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। रजिस्ट्रार (अनुपालन) को इस आदेश की एक प्रति अनुपालन हेतु मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन, लखनऊ को भेजने का निर्देश दिया गया है। वर्तमान मामले में कोर्ट ने पाया कि गैंग-चार्ट में आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया था, जबकि गैंगस्टर नियमावली, 2021 के नियम 8(3) के अनुसार यह आवश्यक है, फिर भी नोडल अधिकारी और वरिष्ठ अधीक्षक पुलिस, गोरखपुर ने गैंग-चार्ट को अग्रेषित किया और जिला मजिस्ट्रेट, गोरखपुर ने भी गैंग-चार्ट को मंजूरी दे दी। यह तथ्य स्पष्ट रूप से स्थापित करता है कि गैंग-चार्ट को अग्रेषित करने के साथ-साथ अनुमोदित करने में सक्षम अधिकारियों ने स्वविवेक का उपयोग नहीं किया है,जो स्पष्ट रूप से गैंगस्टर नियमावली, 2021 के नियम 16 ​​एवं 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। 

गौरतलब है कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ कानून के कड़े प्रावधान के तहत कोई मामला दर्ज किया जाता है, तो यह संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। उपरोक्त तथ्यों से यह भी पता चलता है कि गैंग-चार्ट को मंजूरी देते समय जिला मजिस्ट्रेट, गोरखपुर ने गैंगस्टर नियमावली, 2021 के नियम 5(3)(ए) के अनुसार एसएसपी, गोरखपुर के साथ संयुक्त बैठक में कोई चर्चा नहीं की, जबकि यह पहले से अनिवार्य है। अंत में कोर्ट ने मुख्य रूप से कहा कि गैंगस्टर अधिनियम, 1986 के विशेष प्रावधान बनाने का उद्देश्य गैंगस्टरों और उनकी असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम और उनसे निपटना है, इसलिए इस अधिनियम के प्रावधान कड़े हैं और इनकी कड़ाई से व्याख्या करना आवश्यक है, जिससे राज्य प्राधिकारियों की ओर से उक्त प्रावधान के दुरुपयोग को रोका जा सके।

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