गुजरात सरकार को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, हाथ से मैला उठाने के मामले में 16 मृत कर्मियों के परिजनों को मुआवजा नही देने पर 

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Published By Om Parkash chaubey
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अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने 1993 से 2014 के बीच हाथ से मैला ढोने के दौरान मारे गए 16 सफाई कर्मियों के परिजनों को मुआवजा नहीं देने को लेकर बुधवार को गुजरात सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने इसी के साथ राज्य सरकार को हलफनामा देकर भुगतान नहीं करने का कारण बताने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की पीठ ने राज्य से यह भी जानना चाहा कि उसने 2013 के हाथ से मैला उठाने के खिलाफ कानून को अपनाने के लिए क्या कदम उठाए हैं, और क्या सरकार इस प्रथा को खत्म करने की स्थिति में है या अब भी इसके लिए सफाई कर्मियों की मदद ले रही है।

अदालत अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) मानव गरिमा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम-2013 को लागू कराने का अनुरोध किया गया है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को सूचित किया कि हाथ से मैला ढोने वाले 16 मृत लोगों के परिवार को अब तक उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार मुआवजा नहीं दिया गया है। इस पर अदालत ने सरकार की खिंचाई की और कहा कि सरकार कुछ लोगों को भुगतान करके और बाकी को छोड़ नहीं सकती।

अदालत ने शहरी विकास और शहरी आवास विभाग के प्रमुख सचिव को याचिकाकर्ता द्वारा उल्लिखित उन 16 श्रमिकों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान न करने के कारणों को रिकॉर्ड पर लाने के लिए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने 2016 में गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर सरकार को निर्देश दिया था कि सीवर की सफाई के दौरान मारे गए प्रत्येक कर्मचारी के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2023 में अपने आदेश में हाथ से मैला ढोने के कारण होने वाली मौतों और विकलांगता के मामले में मुआवजा राशि बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी थी। 

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