Exclusive: तेज गर्म खानपान से बढ़ रहा आहार नली में कैंसर… हो जाएं सावधान, इस तरह से करें बचाव

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में तेज गर्म खानपान से बढ़ रहा आहार नली में कैंसर।

कानपुर में तेज गर्म खानपान से आहार नली में कैंसर बढ़ रहा। हैलट अस्पताल की सुपर स्पेशियलिटी में हर माह औसतन 15 रोगी पहुंच रहे।

कानपुर, (विकास कुमार)। अगर आप भी गर्मागर्म खाने या पेय पदार्थो के शौकीन है और इनका सेवन जल्दबाजी या हड़बड़ी में करते हैं, तो सावधान हो जाएं। यह फूड हैबिट खाने की नली में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है।  

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के गैस्ट्रो विभाग की ओपीडी में प्रतिमाह 15 ऐसे रोगी पहुंच रहे हैं, जिनको खाना निगलने या पानी पीने में दिक्कत हो रही है। सीने में लगातार जलन, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और खाने के तुरंत बाद उल्टी जैसी समस्या भी सामने आ रही है। जांच कराने पर डॉक्टरों को इन मरीजों के खाने की नली में कैंसर में मिला है।

ऐसे मरीजों में युवा, महिला, पुरुष व बुजर्ग सभी हैं। गैस्ट्रोइंटोलॉजिस्ट डॉ. विनय कुमार ने बताया कि गर्म भोजन या पेय पदार्थ से खाने की नली का अंदरूनी भाग क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती है।

देर रात तक काम करना और सुबह देर से उठने की अनियमित जीवनशैली में लोगों का खानपान हड़बड़ी में होता है। जल्दबाजी में गर्म खाना खाने से भोजन नली को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा फास्ट फूड, जंक फूड, अधिक तेल-मसाले युक्त भोजन भी खाने की नली के कैंसर के कारण हैं। 

सॉफ्ट व एनर्जी ड्रिंक्स भी घातक

व्यस्त जीवनशैली में युवाओं की निर्भरता पैक्ड फूड व जंक फूड पर अधिक बढ़ती जा रही है। वह सॉफ्ट और एनर्जी ड्रिंक्स का भी खूब प्रयोग करते हैं। ऐसे उत्पादों प्रजर्वेटिव और सोडियम बेंजाएट मिलाया जाता है। सॉफ्ट व एनर्जी ड्रिंक्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर के रूप में बेंजीन रंग मिलाया जाता है, जो कैंसर का कारक होता है।  

कीमोथेरेपी से नहीं ठीक तो डालना पड़ता स्टंट 

गैस्ट्रोइंटोलॉजिस्ट डॉ. विनय कुमार ने बताया कि लक्षण के आधार पर मरीज के खाने की नली की इंडोस्कोपी, सीटी स्कैन व एमआरआइ जांच कराई जाती है। समय रहते जानकारी होने पर  मरीज को जल्द आराम मिलता है। मर्ज बढ़ जाने पर मरीजों की कीमोथेरेपी कराई जाती है। अगर थेरेपी से भी कैंसर सही नहीं होता है, तब स्टंट डालकर इसे ठीक किया जाता है। 

श्वांस नली और फेफड़े  भी हो सकते क्षतिग्रस्त 

गैस्ट्रोइंटोलॉजिस्ट डॉ.अजीत रावत ने बताया कि खाने की नली में कैंसर होने का असर सांस की नली और फेफड़ों पर भी पड़ सकता है। खाने की नली के ठीक पीछे श्वांस नली और फेफड़े होते हैं। खाने की नली का कैंसर तेजी से फैलते हुए श्वांस नली और फेफड़े को चपेट में लेने से फिस्च्यूला (रास्ता) बन जाता है। तब खाना या पानी फेफड़े और श्वांस नली में चला जाता है। इससे मरीज को काफी दिक्कत हो सकती है।

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