Farrukhabad News: सर्दियों में बेमौसम बारिश, किसानों की बढ़ी परेशानी, इन फसलों को अधिक नुकसान
फर्रुखाबाद में सर्दियों में बेमौसम बारिश से किसान परेशान।
फर्रुखाबाद में सर्दियों में बेमौसम बारिश से किसान परेशान हो गया है। किसान की आलू और सरसों की फसलों को भारी क्षति हो रही।
फर्रुखाबाद, अमृत विचार। जिले में बेमौसम हुई बरसात ने किसान परेशान है। किसानों के खेतों में लहलहाती खड़ी सरसों और आलू की फसल के लिए यह पानी तेजाब बनकर बरसा है। बीती रात से रिमझिम बारिश से जहां ठंड बढ़ गई है, वहीं, फसलों को लेकर किसानों के माथे पर चिंता की रेखाएं उभर आई है। किसानों का कहना है कि वैसे तो महावट का पानी फसलों के लिए अमृत बनकर बरसता है । लेकिन सरसों और आलू के लिए यह पानी बहुत ही हानिकारक है।
प्रगतिशील किसान नारद सिंह कश्यप बताते है कि सरसों की फसल इस समय पूरी तरह यौवन पर है। सरसों में फूल निकल रहे हैं। रिमझिम हो रही बारिश से फूल नीचे गिर रहा है। जिससे सरसों के बांझ होने की संभावना बढ़ गई है। उनका कहना है कि सरसों के लिए आसमान में छाए बादल और बारिश दोनों ही खतरनाक है। बादल छाए रहने से सरसों में माहूं रोग लग जाता है।
पानी बरसने से फूल झड़ जाने से पैदावार खत्म हो जाती है। प्रगतिशील किसान का कहना है कि बारिश से किसानों की चिंताएं बढ़ गई है। अन्नदाता वैसे भी आलू पर छाई मंदी के चलते परेशान था। अब इस बारिश ने किसानों के कोड़ में खाज पैदा कर दी है।
किसान नरेंद्र सिंह का कहना है कि यह पानी आलू के लिए भी बहुत खतरनाक है। आलू की फसल में नमी की वजह से परपरा लग जाता है। जिससे आलू की बेल नष्ट हो जाती है। उसमें पैदावार न के बराबर रह जाती है। उनका कहना है कि वैसे भी आलू के अधिकांश खेतों में झुलसा रोग लगा हुआ है । उसके ऊपर यह पानी बरसना आलू के फसल के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि किसान अब पूरी तरह से बर्वाद हो गया है। किसानो ने बैंकों और साहूकारों से ऋण लेकर आलू की फसल तैयार की थी। आलू की बेल में पहले से ही झुलसा लगा हुआ है। उसके बाद रही सही कसर पानी ने पूरी कर दी है। अब आलू की पैदावार न के बराबर होगी। आलू के भाव माटी के मोल पहुंचने के बाद अन्न दाता की लागत नही निकल पा रही थी। अब पैदावार न के बराबर होने पर किसान करोड़ो के कर्ज में डूब जाएगा।वह अपने बेटे बेटियों की शादी विवाह नही कर पाएगा। पानी से सरसों और आलू दोनों फसलों को भारी नुकसान होगा।
पिछले दो साल से किसान प्रकृति की मार झेल रहा है।अब किसान पूरी तरह टूट गया है। उनका कहना है कि आलू की फसल प्रभावित होने से यहां के शीतगृह उद्योग पर भी बड़ा असर पड़ेगा। यदि आलू का उत्पादन न के बराबर रह जाएगा तो जिले के अस्सी शीत गृहो में भंडारण के लिए लगभग छह लाख मीट्रिक टन आलू कहां से आएगा। आलू के ऊपर ही शीतगृह उद्योग टिका हुआ है। आलू की पैदावार न के बराबर रह जाने पर शीत गृह उद्योग सन्नाटे में चला जाएगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिला आलू विकास अधिकारी रामनरायन वर्मा का कहना है कि महावट का पानी गेंहु, चना,के लिए फायदे मंद होता है। आलू ,सरसों के लिये बहुत हानि कारक होता है। इस पानी के बाद फसलों को हुए नुकसान को बचाने का कोई तरीका नही है। इसे दैवीय आपदा ही कहा जाएगा। उनका कहना है कि आलू के साथ किसानों की सरसों की भी फसल को नुकसान हो गया। किसानों को धैर्य से काम लेना चाहिए। आलू में दबा का छिड़काव करते रहना चाहिए। तमाम तरह की दबाइयाँ बाजार में मौजूद हैं।
