उफ्फ! ये नदी है या नाला? मूर्ति विसर्जन के बाद गंदगी से पट गई मालती नदी, रामघाट के पास दिख रही सीवर से बद्तर
कभी पवित्र नदी बुझाती थी मनुष्यों और जीवों की प्यास, प्राण प्रतिष्ठा के दिन रामघाट के पास शुरू होगा राम मंदिर का निर्माण
अमेठी। संग्रामपुर विकास खण्ड के रामघाट ठेंगहा में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के बाद मालती नदी को अब सफाई का इंतजार है। जगह-जगह मूर्तियों के अवशेषों से मालती नदी के घाट पट गए हैं। संग्रामपुर में दो दशक पहले तक सैकड़ों गांवों के लिए मालती नदी जीवन दायिनी हुआ करती थी। किसान अपने खेतों की सिंचाई करते थे। मालती नदी का स्वच्छ और शीतल जल इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों की प्यास बुझाता था। भरपूर दोहन और दुरुपयोग के कारण इसका पानी अब स्वच्छ नहीं रह गया है। जीवन दायिनी मालती नदी का जल अब मछलियों, पशु-पक्षियों के लिए घातक साबित हो रहा है।
प्रदूषण व गंदगी से बुरी तरह जकड़ी मालती नदी अपना मूल स्वरूप खोने लगी है। रामघाट के करीब मालती नदी किसी नाले की तरह नजर आने लगी है। कूड़ा-कचरा ने इसकी सतह पर कब्जा जमा लिया है। दिनों दिन सिकुड़ती जा रही नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विसर्जन के बाद लापरवाही का आलम है कि जिम्मेदारों द्वारा अभी तक मालती नदी से कचरा व बांस लकड़ियों को बाहर नहीं निकाला जा सका है।
यही कारण है कि इस नदी का पानी दूषित होता जा रहा है। राम घाट सेवा समिति के संरक्षक आशुतोष मिश्र ने बताया कि नवरात्र में नौ दिनों तक दुर्गा प्रतिमाओं को पंडाल में स्थापित करके लोगों ने खूब पूजापाठ किया। लेकिन विसर्जन में आस्था खत्म हो गई। प्रतिमाओं को जैसे तैसे प्रवाहित करके लोग चले गए। पूजा पाठ की सामग्री भी इधर उधर फेंक दी। प्रशाशन के द्वारा भी सफाई की कोई व्यवस्था नही की। न कोई सामाजिक संगठन भी नदी के सफाई के लिए आगे आये।
22 जनवरी से रामघाट पर शुरू होगा श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य
अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को रामघाट पर भी भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। समिति के अध्यक्ष अशुतोष मिश्र ने बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के साथ यहां भी राममंदिर का निर्माण शुरू होगा। उन्होंने कहा कि हम सब ने मिलकर अयोध्या के राम मंदिर से प्रेरित होकर मंदिर के डिजाइन को तैयार किया है। भगवान श्रीराम से सम्बंधित मूर्तिया मंदिर में स्थापित की जाएगी।
त्रेता युगीन पौराणिक महत्व समेटे रामघाट
ठेंगहा गांव के मालती नदी के तट रामघाट का सम्बंध भगवान श्रीराम से जोड़ा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वन गमन के समय श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के साथ प्रभु श्रीराम ने रामघाट पर विश्राम और स्नान किए थे। किंवदंतियों के अनुसार भरत, श्रीराम का खड़ाऊ लेकर चित्रकूट से अयोध्या वापस आ रहे थे तब भी रामघाट तट पर आकर पूजा और प्रणाम किये थे। मालती नदी को रामघाट के नाम से जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आसपास के लोग पवित्र नदी में स्नान और पूजा करते हैं। यहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने पर मोक्ष प्राप्ति की मान्यता के चलते इस नदी में लोग डुबकी लगाते हैं।
रामघाट सेवा समिति के सदस्य मोनू तिवारी ने बताया रामघाट पौराणिक स्थल के साथ-साथ लोगों की आस्था जुड़ी हुई। घाट पर गंदगियों का अंबार लगा हुआ है, शासन प्रशासन द्वारा कभी भी घाट की साफ सफाई नहीं करवाई जाती है।

रामघाट विकास सेवा समिति के अध्यक्ष अनुपम मिश्रा ने बताया कि जल संरक्षण के लिए सरकार कहती बहुत कुछ है जमीनी हकीकत कुछ और है कभी क्षेत्र के लिए जीवन दायिनी रही मलती नदी आज जलकुंभियों और कचरे से पट गई है अगर साफ-सफाई नहीं कराई गई तो जल्दी ही नदी नाला का रूप ले लेगी।

रामघाट विकास सेवा समिति के संरक्षक आशुतोष मिश्रा ने बताया कि कई बार अधिकारियों को साफ-सफाई के लिए सूचना दी गई लेकिन न तो घाटों की साफ-सफाई हुई और न ही नदी से मूर्ति विसर्जन की लकड़ियां बल्लियों को निकाला गया, रामघाट कचरे से पटा हुआ है।

ठेंगहा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सतीश सिंह ने बताया कि मेला और कार्तिक पूर्णिमा पर हमारे द्वारा घाटों की साफ-सफाई कराई जाती है, मूर्ति विसर्जन के बाद रामघाट पर कचरा अधिक हो जाता है साफ-सफाई के लिए ब्लॉक कर्मचारियों को सूचित किया गया है।

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