रामपुर : गन्ने का मूल्य महज 20 रुपये बढ़ाकर किसानों के साथ हुआ मजाक, जानिए क्या बोले किसान?

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Published By Bhawna
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मौजूदा समय में डीजल से लेकर कीटनाशक दवा तक मंहगी , 500 रुपये प्रति क्विंटल गन्ना मूल्य करने की मांग 

रामपुर, अमृत विचार। सरकार ने गन्ने का मूल्य महज 20 रुपये बढ़ाया है, जिससे किसानों में आक्रोश है। किसानों का कहना है कि सरकार ने 20 रुपये बढ़ाकर किसानों का मजाक उड़ाया है। गन्ने का दाम कम से कम 500 रुपये क्विंटल होना चाहिए। सरकार द्वारा गुरुवार को गन्ने में 20 रुपये बढ़ा दिए गए हैं। खेती का दुख दर्द सिर्फ किसान ही जानता है। ठंड, गर्मी, भूख, प्यास सहकार अपनी फसल पालता है। लेकिन उसको देखने वाला कोई नहीं है। सरकार की ओर से केवल 20 रुपये गन्ने का दाम बढ़ाए हैं। मौजूदा समय में डीजल भी 100 रुपये है। इसके अलावा खेतो में डाली जाने वाली खाद काफी महंगी हो गई है। कीटनाशक दवा भी काफी मंहगी है। मात्र 20 रुपये बढ़ाकर किसानों का मजाक उड़ाया है। गन्ने का रेट कम से कम 500 रुपये होना चाहिए।

क्या बोले किसान?
गन्ना किसानों को एक तरह से छला गया है। 500 रुपये क्विंटल गन्ने का रेट होना चाहिए। गन्ने की मैली अलग बिकती है खोई अलग बिकती है। शीरा अलग बिकता है। चीनी अलग बिकती है। उसे हिसाब से किसानों को गन्ने का दाम सरकार नहीं दे रही है। खेती में लागत अधिक आ रही है। -इमरान खान, जिला सचिव भारतीय किसान यूनियन  

इमरान खां

इमरान खान

प्रदेश सरकार ने किसानों को  ऊंट के मुंह में जीरा कहावत करके दिखाई है। गन्ने के दाम 20 रुपये बढ़ाकर किसानों का मजाक उड़ाया  है। खाद के कई गुना दाम बढ़ गए हैं। बिजली महंगी हो गई लेकिन गन्ना किसानों को या किसी भी फसल पर किसानों का मजाक उड़ा रही है। - मोहम्मद हनीफ वारसी,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाकियू भानु

मोहम्मद हनीफ वारसी

मोहम्मद हनीफ वारसी

प्रदेश सरकार को किसने की चिंता नहीं है। उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रही है। गन्ने का समर्थन मूल्य उद्योगपतियों से मशवरा करके घोषित किया गया है। हमेशा चीनी मिलों के दबाव में सरकार काम करती आई है, लेकिन अब यह मजाक किस बर्दाश्त नहीं करेगा। - मुराद खां, वरिष्ठ किसान नेता  

मुराद खां

मुराद खां

खेती का दुख-दर्द सिर्फ किसान ही जानता है। ठंड,गर्मी,भूख,प्यास सहकार अपनी फसल बड़ी करता है। लेकिन उसको देखने वाला कोई नहीं है। चंद लोग विधानसभा में बैठकर किसने की फसल के दाम तय करते हैं जिनको यह पता नहीं के खाद का रेट क्या है।   - सरदार मक्खन सिंह चौहान, जिला महासचिव भाकियू भानु

सरदार मक्खन सिंह

सरदार मक्खन सिंह चौहान

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