रामलला के साथ लौटा भारत का खोया स्वरूप,अब राम की तरह हमें भी अहंकार को त्यागना होगा-मोहन भागवत

Amrit Vichar Network
Published By Ravi Shankar Gupta
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अमृत विचार लखनऊ: अयोध्या में रामलला अपने स्थान पर विराजमान हो चुके हैं। राम लला के विराजमान होते ही जहां पूरा देश भावुक हो गया वहीं दूसरी ओर जय श्रीराम के नारों से भी पूरा देश गूंज उठा। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद जहां सबसे पहले सीएम योगी ने संबोधन किया उसके बाद संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित किया। भागवत ने कहा कि आज रामलला प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भारत का खोया हुआ स्वरूप भी लौट आया है। मोहन भागवत ने कहा इस घड़ी के लिए पूरे 500 साल बीत गये अब लेकिन अब पूरे विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत खड़ा होके रहेगा। आज का कार्यक्रम इसका प्रतीक है। भागवत ने कहा जोश की बातों में होश की बातें करने का काम मुझे सौंपा जाता है। पीएम मोदी को जितना कठोर व्रत करने को कहा गया था, उन्होंने उससे ज्यादा कठोर व्रत किया। वे तपस्वी हैं।

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प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद मंच पर सीएम योगी और पीएम मोदी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत
 
पीएम की तरह हम सभी को करना होगा तप

मोहन भागवत ने कहा पीएम ने जिस तरह तप किया। अब हमें भी तप करना है। हमें छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई छोड़नी होगी। हमको आपस में समन्वय रखकर चलना होगा। सब हमारे ही हैं। सरकार की कई योजनाएं राहत दे रही है। लेकिन समाज के लोग हमारे भी लोग हैं। हमें भी सेवा और परोपकार के रास्ते पर चलना होगा। अपने लिए उतना ही रखें जितने की जरुरत हो।

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रामलला को वापस लाने वालों को कोटि-कोटि नमन

मोहन भागवत ने कहा प्रमुख ने आगे कहा, जिनके त्याग, तपस्या, प्रयासों से आज हम यह स्वर्ण दिवस देख रहे हैं, उनका स्मरण प्राण-प्रतिष्ठा के संकल्प में हमने किया। उनके प्रयासों को कोटि बार नमन है। इस युग में आज के दिन रामलला के फिर वापस आने का इतिहास जो-जो स्मरण करेगा, वह राष्ट्र के लिए होगा।

अब समाप्त करनी होगी कलह

मोहन भगवत ने कहा कि हमको भी अपनी कलह की विदाई करनी होगी। राम लला किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं रखते थे वह काम करने वाले थे वह बाते करने वाले नहीं थे। वह मर्यादापुरुषोत्तम राम थे। सत्य कहता है कि सब घट में राम है। हमको ये जानकर आपस में समन्वय से से चलना होगा। क्योंकि हम चलते हैं तो सब चलते हैं इसलिए सभी का ध्यान रखकर एक जुट होते हुए चलना होगा। उन्होने कहा आज सरकार की कई योजनायें गरीबों को राहत दे रही हैं। ये सब हो रहा है। लेकिन हमारा भी कर्त्वय है जहां कहीं मुझे किसी की पीड़ा दिखती है उसकी ओर हमें तुरंत दौड़ जाना चाहिए। 

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हमें अनुशासित नागरिक बनना है

मोहन भागवत ने कहा हमें अनुशासित रहना होगा। नागरिक अनुशासन का पालन करना होगा। मोहनभगवत ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि अनुशासन से जीवन में ही पवित्रता आती है। उन्होंने अंत में ये भी कहा 500 वर्ष तक अनेक के पढियों ने बलिदान देकर आज का आनंदमय दिन हम सभी को उपलब्ध कराया है। उनका योगदान हमें हमेशा याद रखना होगा। धर्मस्थापना के लिए राम का जन्म हुआ था। उसी प्रकार से हमें आगे बढ़ना होगा। हमें भी धर्म स्थापन के कर्त्वय को ध्यान रखना होगा। अभी इसी छण से हमें इसे इस व्रत का पालन करना होगा। जब अभी से हम ध्यान रखेंगे तो विश्व निर्माण भी हम कर सकेंगे। 

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