Kanpur News: लगातार खड़े रहने से होता वेरिकोसेल... हैलट अस्पताल की ओपीडी में लगी मरीजों की भीड़

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के हैलट अस्पताल की ओपीडी में लगी मरीजों की भीड़।

कानपुर में लगातार खड़े रहने से वेरिकोसेल होता है। हैलट अस्पताल में सर्जरी विभाग की ओपीडी में एक माह में औसतन 30 से 40 मरीज वेरिकोसेल की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं।

कानपुर, अमृत विचार। जो लोग दिनभर खड़े रहते है, भारी काम करते हैं, बिना सपोर्टर (एडी) लगाकर दौड़, जिम या व्यायाम करते हैं। वह वेरिकोसेल बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

हैलट अस्पताल में सर्जरी विभाग की ओपीडी में एक माह में औसतन 30 से 40 मरीज वेरिकोसेल की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। इसमें नसों में सूजन, खड़े होने पर तेज दर्द, पीठ के बल लेटने पर दर्द, अंडकोष की थैली में गांठ व शारीरिक काम के दौरान असहनीय पीड़ा जैसी दिक्कत होती है। 

हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह ने बताया कि अंडकोष की थैली में नसों का आकार बढ़ने को वैरीकोसेल कहते हैं। नसों में वॉल्व मौजूद होते हैं, जो खून को अंडकोष से दिल तक ले जाने में मदद करते हैं। लेकिन वॉल्व के खराब होने या ठीक से काम नहीं करने के कारण खून एक ही जगह इकठ्ठा हो जाता है। इसकी वजह से स्क्रोटम और उसके आसपास की थैली में सूजन होने लगती है, जो बाद में वैरीकोसेल का रूप लेता है।

संतानहीनता का कारण बन सकता

वैरीकोसेल स्पर्म प्रोडक्शन और उन फंक्शन को प्रभावित करता है जो इन्फर्टिलिटी का कारण होते हैं।  आर्मी या पुलिस की भर्ती के लिए मेडिकल परीक्षण में प्रतिभागियों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। इसकी वजह दैनिक गतिविधि में लगातार खड़े रहना और बिना सपोर्टर के अधिक व्यायाम और दौड़ लगाना होता है। लंबे समय तक खड़े रहने से पैरों की नसों में रक्त जमा हो जाता है, जिससे नसों के अंदर दबाव बढ़ता है।

बढ़ा हुआ दबाव नसों के वाल्व को नुकसान पहुंचाता है। खून की दौड़ान वापस जाने की वजह से भी ऐसा होता है। दाएं तरफ की नस आईवीसी और बाएं तरफ की नस गुर्दे से जुड़ी होती है। यही नस अधिक दिक्कत करती है। ऐसे मरीजों का दूरबीन विधि से ऑपरेशन किया जाता है, जो अतिरिक्त नसें होती हैं, उनको बांध दिया जाता है। 

मुख्य कारण 

1. लंबे तक खड़े होकर काम करना।
2. बिना सपोर्टर दौड़ जिम या व्यायाम करना।
3. अंडकोष में ब्लड सर्कुलेशन तेज होना।
4. वजन बढ़ना, खड़े होकर पानी पीना।

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