बरेली: पूंजीपतियों पर फोकस... मध्यवर्ग को नहीं भाया बजट

बरेली: पूंजीपतियों पर फोकस... मध्यवर्ग को नहीं भाया बजट

बरेली, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव से पहले पेश किए गए केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर उद्यमियों और व्यापारियों की कोई स्पष्ट राय निकलकर सामने नहीं आई। बजट को राजनीतिक नजरिए से देखा जाना ही शायद वजह ही कि कुछ उद्यमियों ने इसे निराशाजनक करार दिया तो कुछ ने इसे विकसित भारत की राह पर एक कदम बताया। 

कुछ उद्यमियों ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य और निम्न वर्ग की चिंता भी दिखाई। जीएसटी की दरों में राहत की उम्मीद कर रहे व्यापारियों के रुख से झलका कि उनकी मांग को नजरंदाज कर कॉरपोरेट टैक्स में 22 फीसदी छूट दिया जाना उन्हें भी कुछ खला है।

बजट में मध्य और गरीब वर्ग के लिए कुछ नहीं है। ऐसे प्रावधान भी किए जाने चाहिए थे जिससे मध्यम वर्ग के उद्यमियों को लाभ अर्जित हो सके। स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाला बजट होना चाहिए। उद्योग के लिहाज से कोई विशेष प्रावधान नहीं है। - अजय शुक्ला, अध्यक्ष भोजीपुरा इंडस्ट्रियल एरिया

केंद्र सरकार के अंतरिम बजट में किसी बड़ी घोषणा या राहत की न उम्मीद थी, न की जानी चाहिए। यदि की जाती तो भी चुनावी बजट कहलाता। केंद्र का संपूर्ण बजट जुलाई में पेश होगा। हर वर्ग को साधने के लिए सरकार निश्चित कई तरह की छूट देगी। -सुरेश सुंदरानी, उद्यमी

स्ट्री, ट्रेड या मध्यम वर्ग का कोई भला नहीं होने वाला है। केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह अंतरिम बजट था। इस साल लोकसभा चुनाव भी होने है। इसकी वजह से बजट पेश करने में केवल खानापूरी की गई। -राजेश गुप्ता, उद्यमी

वित्त मंत्री ने गरीब, किसान, युवा एवं महिला कल्याण पर पूरा जोर दिया है। जीडीपी और एफडीआई को नई तरह से गवर्नेंस, डेवलपमेंट, परफॉरमेंस के रूप में परिभाषित कर देश के सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी और समावेशी विकास की बात की गई है। - सुनीत मूना, विशिष्ट सदस्य, आईआईए

बजट विकसित भारत की ओर ले जाने के संकल्प को दोहराना है। एमएसएमई स्टार्ट अप, टूरिज्म पर प्रावधान सराहनीय हैं। आयकर स्लैब में बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। बजट में महिलाओं पर फोकस किया जाना सरहनीय कदम है। -रजत महरोत्रा, उद्यमी

जीएसटी के रूप में भारीभरकम राशि सरकार को मिली है जो देश की तरक्की का मार्ग प्रशस्त करती है। इसमें व्यापारी की ही भागीदारी है। यह चुनावी साल है, इसलिए सरकार को बजट में व्यापारी हितों की सुरक्षा के लिए भी नीति बनानी चाहिए थी। -जफर बेग, संरक्षक, बरेली मर्चेन्ट एसोसिएशन

बजट में हर वर्ग को साधने की कोशिश की गई। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जोर दिया गया। उत्पादकता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग और जनसंख्या कंट्रोल से संबंधित चुनौतियों पर ध्यान दिया है। हालांकि आयकर दरों और स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। - शुचि, सीए

कर्मचारियों के लिहाज से कोई घोषणा नही हुई। महंगाई केसे कम होगी, रोजगार केसे बढ़ेंगे, इसका कोई जिक्र तक नहीं किया। कारपोरेट दोस्तों का टैक्स कम किया जाना समझ से परे है। इस बजट में बताने लायक कुछ नहीं। -गीता शांत, महामंत्री बीमा कर्मचारी संघ बरेली डिविजन

कोई बड़ी उम्मीद नहीं थी क्योंकि वित्तमंत्री पहले ही कह चुकी थीं। व्यापारियों को मोदी जी की गारंटी पर भरोसा है। अर्थव्यवस्था को सुधारने का प्रयास है, इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया है। स्टार्टअप पर टैक्स में छूट दी है। यह अच्छी पहल है। -विशाल मेहरोत्रा, अध्यक्ष, राष्ट्र जागरण उद्योग व्यापार मंडल

सरकार ने कुछ चीजों के दाम कर आम लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया है। लोगों को बजट से जिस तरह की उम्मीदें थी, उन पर यह बजट खरा नहीं उतरा है। बजट में आयकर टैक्स स्लैब में बदलाव न किया जाना निराशाजनक है। -परमेंद्र पाल सिंह, जिला कोषाध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

सरकार ने आम आदमी को इनकम टैक्स में कोई राहत नहीं दी है। पुरानी टैक्स रिजीम चुनने पर अब भी आपकी 2.5 लाख रुपये तक की ही इनकम टैक्स फ्री रहेगी। नौकरीपेशा समेत अन्य वर्ग के लिए टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी न करने थोड़ा निराशानजक है।- हर्षित, सीए

किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद नहीं थी। संपूर्ण बजट जुलाई में आएगा। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस किया गया है। महिलाओं-गरीबों के लिए कई घोषणाएं हैं। टूरिज्म के लिए की गई घोषणा से जिले का भी विकास होगा।- राजेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महामंत्री, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल

पिछले एक साल में बढ़ी मंहगाई, ब्याज दर, मूल्यवृद्धि के बाद अब सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान न देकर यह साबित कर दिया है कि आम लोग उसकी प्राथमिकता में नहीं हैं। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं है, सीनियर सिटीजन के लिए कोई घोषणा नहीं, कारपोरेट को फायदा पहुंचाया गया है। आम आदमी की उम्मीद टूटी है और सरकार की साख गिरी है।- मुहम्मद ख़ालिद जीलानी, उपभोक्ता मामलों के वकील एवं आरटीआई एक्टिविस्ट

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