ठगी या हकीकत: जोगी के गीतों पर फफककर रोया पूरा गांव, फिर ऐसा हुआ की थाने के लगाने पड़े चक्कर, देखें Video
अमेठी, अमृत विचार। जोगियों की एक टोली इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है। सारंगी की धुन पर इनके गीतों को सुनकर गांव के लोग फफक-फफककर रोए। बेटा समझकर उनकी झोली में लाखों रुपये और कई क्विंटल अनाज डाल दिया। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन जोगियों तक पहुंचने के लिए गांव वालों को थाने के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस मामले की तहकीकात करने अमृत विचार की टीम गांव पहुंची। पड़ताल में चौकाने वाली बातें सामने आई। आप भी जानिए सच्चाई...
अमेठी:
— amrit vichar (@amritvicharlko) February 8, 2024
ठग या साजिश, रहस्य अब भी बरकरार, जोगियों से टूटा संपर्क
मां के हाथों ही भिक्षा लेने पर अड़ा था जोगी, परिजन समझ बैठे अपनी संतान
परिवार दिल्ली में रखकर करते थे नौकरी, वहीं से 11 वर्ष का बेटा हुआ था लापता pic.twitter.com/N1KSsW9Ue1
कोतवाली जायस क्षेत्र के गांव खरौली के रहने वाले रतीपाल सिंह का परिवार दिल्ली में रहता है। उनका 11 साल का बेटा अरुण 2002 में अचानक घर से लापता हो गया था। बेटे के गम में कुछ दिनों बाद रतीपाल की पत्नी का निधन हो गया। काफी तलाश के बाद भी बेटे का पता नहीं चला।
परिजनों ने दिल्ली में उसकी गुमशुदगी भी दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस भी अरुण को तलाश नहीं पाई। चार दिन पहले रतीपाल के गांव खरौली में जोगियों की एक टोली पहुंची। टोली का अगुवा करीब 25-30 साल का युवा जोगी सारंगी की धुन पर ऐसे गीत गाने लगा कि पूरा गांव उसके पास जुट गया। जोगी गाते हुए रतीपाल के दरवाजे पर पहुंचा तो लोगों ने उसे रतीपाल का खोया हुआ बेटा समझ लिया।
तीन दिन तक बेटा समझकर सत्कार करता रहा परिवार
रतीपाल के घर में मौजूद उनकी बहन बाहर निकली तो उन्होंने भी उसे अपना भतीजा समझकर गले लगा लिया। कई घंटे तक जोगी गाते रहे और गांव वालों का मजमा जुटता गया। लोगों ने सोशल मीडिया पर इसकी वीडियो बनाकर शेयर करना शुरू किया तो चर्चाएं पूरे जिले में फैल गई। बेटा समझकर रतीपाल का परिवार जोगियों के आव-भगत में जुट गया। घरवालों की मिन्नतों पर जोगी तीन दिन तक उनके घर पर ही ठहरे रहे। इसके बाद कथित अरुण को घर वापस आने की सिफारिशें होने लगी। इसपर उसने जोग के नियमों और मठ का हवाला देकर कुछ शर्तें रख दी।
11 लाख का भंडारा कराने की शर्त
उसकी शर्त के मुताबिक एक बड़े भंडारे का आयोजन किया जाना था जिसमें 11 लाख रुपये का खर्च आना था। घरवाले यह रकम देने को राजी हो गए। इसी फरवरी में भंडारा होना था। इसके लिए मठ की अनुमति लेने की बात कहकर जोगी गांव से रवाना हो गए। उनकी विदाई में गांव वालों ने कई क्विंटल अनाज रतीपाल के परिवार ने दिए। परिवार के संपर्क में बने रहने के लिए जोगी को मोबाइल फोन भी दिया गया। लेकिन सप्ताह भर बाद परिजनों ने संपर्क करने का प्रयास किया तो फोन बंद मिला। कई दिन तक संपर्क न होने पर घरवालों को ठगी का एहसास होने लगा। इसपर वीरपाल के परिजन जायस कोतवाली पहुंचे और मामले की तहरीर दी। पुलिस फिलहाल मामले की छानबीन कर रही है।
पेट के टांकों ने दिलाया बेटा होने का भरोसा
रतीपाल के घरवालों का कहना है कि अरुण 11 साल की अवस्था में गायब हुआ था। उसके पहले उसका ऑपरेशन हुआ था। उसके पेट में 15 टांके लगे थे। जिस जोगी को अरुण समझा गया उसके पेट में भी ऐसे ही टांके लगे हुए थे। इससे पूरा भरोसा हो गया कि वह रतीपाल का बेटा अरुण ही है। हालाकि इतना कुछ होने के बाद भी गांव वाले उसे अभी तक रतीपाल का बेटा अरुण ही मानकर उसके वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
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