झाड़ियों में बेहोश मिली 48 घंटे पहले जन्मी बच्ची, फायर फाइटर ने सीएचसी में भर्ती करा बचाई जान 

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Published By Jagat Mishra
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हैदरगढ़/बाराबंकी, अमृत विचार। लोक लाज के भय से नहर के किनारे झाड़ियों में कलयुगी मां द्वारा 48 घंटे की नवजात बालिका को लावारिस अवस्था में मरने के लिए छोड़ दिया गया। मॉर्निंग वॉक पर निकले फायर फाइटर ने नवजात के रोने की आवाज सुन उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैदरगढ़ में लाकर भर्ती कराया। जहां पर उपचार के बाद नवजात को बेहतर इलाज के लिए चाइल्ड केयर यूनिट बाराबंकी के लिए रेफर कर दिया गया।

अग्निशमन केंद्र हैदरगढ़ में वाहन चालक के पद पर कार्यरत दुर्गा शंकर पांडेय  रविवार की सुबह कोतवाली के बगल से गुजरी लिल्हौरा रजवहा पर अपने अन्य साथियों के साथ मॉर्निंग वाॅक को जा रहे थे। तभी उन्हे नहर के किनारे झाड़ियों से किसी नवजात के रोने की आवाज सुनाई पड़ी। नजदीक जाने पर झाड़ियों के बीच एक नवजात बालिका एक छोटे से कपड़े के टुकड़े में लिपटी हुई बेहोशी की हालत में मिली। इसके बाद पांडेय ने उसे सीएचसी पहुंचाया। जहां पर इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉ. उमंग वर्मा एवं फार्मासिस्ट अमरीश मिश्रा, स्टाॅफ नर्स संदीप द्वारा उपचार शुरु किया गया। दोपहर बाद नवजात को महिला कांस्टेबल एवं आशा बहू के संरक्षण में चाइल्ड केयर यूनिट बाराबंकी के लिए रवाना कर दिया गया। 

फार्मासिस्ट अमरीश मिश्रा ने बताया कि सुबह जब बच्ची को अस्पताल लाया गया तब वह बेहोश थी, पेट फूला हुआ था और शरीर का तापमान  केवल 17 डिग्री था। इसके बाद उसे एनबीएस यूनिट में भर्ती कर उपचार किया गया। लगभग डेढ़ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसकी हालत में सुधार आया। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी रही।

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