हल्द्वानी: दंगे के दिन हल्द्वानी में था मास्टर माइंड, फुंका कारतूस कसेगा गर्दन

हल्द्वानी: दंगे के दिन हल्द्वानी में था मास्टर माइंड, फुंका कारतूस कसेगा गर्दन

हल्द्वानी, अमृत विचार। दंगे का मास्टर माइंड बताया जा रहा अब्दुल मलिक दंगे के दिन शहर में ही था और दंगा भड़कते ही वो परिवार सहित फरार हो गया। हाल में हुई कुर्की भी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि मलिक सीधे तौर पर दंगे में शामिल था। कुर्की में मलिक के घर से कई इस्तेमाल किए कारतूस मिले हैं, जिन्हें दंगे से जोड़ कर देखा जा रहा है। फिलहाल, तो मलिक कहां है, ये किसी को नहीं पता। पुलिस मलिक और उसके बेटे मोईद की सरगर्मी से तलाश कर रही है। जिसके बाद ही दंगे के षड्यंत्र से पर्दा उठेगा। 

बता दें कि दंगे की शुरुआत मलिक का बगीचा से हुई थी। उस मलिक का बगीचा से, जिस पर अब्दुल मलिक अपना दावा बता रहा था और दावे को पुख्ता करने के लिए उसने नजूल की भूमि पर मदरसा और प्रार्थना स्थल बना दिया था। 8 फरवरी को पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम जब उक्त भूमि पर कब्जा लेने पहुंची तो दंगा भड़क गया और तभी से मलिक परिवार समेत फरार है।

सूत्रों का कहना है कि पुलिस की सर्विलांस टीम ने जब अब्दुल मलिक के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया और सीडीआर निकली तो पता लगा कि दंगे के दिन अब्दुल मलिक शहर में ही था। दंगे के दो दिन पहले मलिक ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर दिया था और दंगा भड़कते ही वो फरार हो गया। 

इधर, न्यायालय से कुर्की और गृह मंत्रालय से लुक आउट नोटिस जारी होने के बाद भी जब मलिक और उसके बेटे मोईद का कुछ पता नहीं चला तो पुलिस कुर्की के लिए उसके लाइन नंबर 8 बनभूलपुरा स्थित कोठी पहुंची। कोठी से 6 डंपर से ज्यादा माल निकला, जिसे निकालते-निकालते पुलिस को 18 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया।

सूत्र कहते हैं कि कुर्की के दौरान कोठी से जिंदा और इस्तेमाल हुए कारतूस निकले। बताया यह भी जा रहा है कि मलिक के नाम पर शस्त्र लाइसेंस नहीं है, ऐसे में कोठी से कारतूस की बरामदगी बड़े सवाल खड़े कर रही है और वो भी इस्तेमाल कारतूस। ऐसा माना जा रहा है कि इन कारतूस का इस्तेमाल दंगे के लिए किया गया होगा। 

जख्मों के मिलान से खुलेगा कारतूस का राज
हल्द्वानी : बनभूलपुरा में जितने भी शस्त्र हैं, पुलिस उन्हें जमा करा रही है। कहीं इन शस्त्रों का इस्तेमाल दंगे में तो नहीं हुआ पुलिस इसकी भी जांच कर रही है। इधर, मलिक के घर से मिले इस्तेमाल किए कारतूस दंगे की कहानी में नया मोड़ लेकर आए हैं। बताया जा रहा है कि जो लोग दंगे में गोली लगने से घायल हुए हैं या मरे हैं, पुलिस अब उनके जख्मों से मलिक के घर से मिले कारतूस का मिलान कराएगी। अगर जख्म मलिक के घर से मिले कारतूस से मेल खाते हैं तो यह मलिक के खिलाफ अहम सुबूत होंगे।   
   
बाहर से आए दंगाइयों को मिला लोगों का साथ
हल्द्वानी : बनभूलपुरा के लोग पहले इस बात को सिरे से खारिज कर रहे थे कि दंगे में स्थानीय लोगों का कोई हाथ नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे सीसीटीवी फुटेज और वीडियो सामने आ रहे हैं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि दंगे में स्थानीय लोगों ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया। अब लोग न सिर्फ इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, बल्कि यह भी कह रहे हैं कि दंगाई बाहर से आए थे और उन्होंने दंगे को भड़काया। जब दंगा भड़का तो स्थानीय युवा और अधेड़ उम्र के लोग बगैर कुछ सोचे-समझें दंगे का हिस्सा बना गए। 

देश में है या छोड़कर भाग गया अब्दुल मलिक
हल्द्वानी : बीती 8 फरवरी से फरार अब्दुल मलिक न सिर्फ पुलिस के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि पुलिस की एलआईयू और इंटेलीजेंस को भी उसने कटघरे में खड़ा कर दिया है। अभी तक सूत्रों के हवाले से सिर्फ यह स्पष्ट हुआ है कि मलिक दंगे के दिन शहर में था और वह भी सर्विलांस के बूते, लेकिन एलआई और इंटेलीजेंस 12 दिन बाद भी यह पता नहीं लगा सकी कि अब्दुल मलिक देश है भी या फिर देश छोड़ कर फरार हो गया है। संभावना है कि मलिक परिवार समेत उत्तर प्रदेश में कहीं दुबका है। 

नया मोबाइल नंबर इस्तेमाल कर रहा मलिक
हल्द्वानी : पुलिस और कचहरी की कार्यप्रणाली से मलिक अच्छी तरह वाकिफ है। यही वजह है कि दंगे से दो दिन पहले ही उसने अपना नंबर बंद कर दिया था, ताकि दंगे से उसका गठजोड़ साबित न हो सके। अब यह बात भी सामने आ रही है कि अपना नंबर बंद करने के बाद मलिक ने किसी और के नाम से दूसरा सिम कार्ड खरीदा और अब वह इसी नए कार्ड के जरिये अपने वकीलों और शरणदाताओं के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि कहीं सीसीटीवी में कैद न हो तो, वह एक ही स्थान पर डेरा जमाए हुए हैं।