Kanpur: लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करेगा निर्वाचन आयोग; निकालेगा जागरूकता एक्सप्रेस वैन

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, मनोज त्रिपाठी। निर्वाचन आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे कम मतदान वाली जिन 10 सीटों पर मताधिकार प्रोत्साहन की ‘रोल फार पोल’ और ‘वोटर टर्नआउट’ कार्ययोजना बनाई है, उनमें कानपुर शहर दूसरे नंबर पर है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में औसतन 59.11 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके मुकाबले कानपुर में 51.40 प्रतिशत वोट ही पड़े थे। 

आयोग ने कम मतदान का विश्लेषण बूथ स्तर पर करके वहां के मतदाताओं को मतदान के लिए मनाने का फैसला लिया है। ऐसे क्षेत्रों में जागरूकता एक्सप्रेस वैन भी भेजी जाएंगी। शहर में लोकसभा, विधानसभा या नगर निगम कोई भी चुनाव हो, मतदान नहीं करने वालों का  प्रतिशत हर चुनाव में बड़ा हिस्सा रहता है। मतदान बढ़ाने की तमाम कोशिशों के बावजूद जीतने और हारने वालों से ज्यादा वोट उनके होते हैं, जो मताधिकार का इस्तेमाल ही नहीं करते। 

यह हाल तब है, जब मतदाता को लोकतंत्र का नायक माना जाता है। कहा जाता है कि जितना ज्यादा मतदान होगा, लोकतंत्र उतना ज्यादा मजबूत होगा। इससे साफ है कि वोट नहीं देने वाले अप्रत्यक्ष रूप से अयोग्य उम्मीदवारों की मदद ही करते हैं।

प्रत्याशी से नापसंदगी, पार्टियों और मुद्दों के प्रति उदासीनता 

एक सर्वे के मुताबिक अधिकतर पढ़े-लिखे लोगों में मतदान के प्रति लापरवाही का मूल कारण जनप्रतिनिधि से निराशा या नापसंदगी रहती है, जिसके चलते किसी भी प्रत्याशी को योग्य नहीं मानते हैं। इसके साथ ही चुनाव अभियान के मुद्दों से बेरुखी अथवा राजनीतिक दलों का सत्ता के लिए ही सब कुछ करने वाला रवैया भी मतदान में उदासीनता का कारण रहता है।  

कोउ नृप होय हम हिं का हानी…

मतदान नहीं करने वाले अधिकतर लोगों का मानना रहता है कि सरकार चाहे किसी भी दल की बने उनकी स्थिति-परिस्थिति में कोई खास बदलाव आने वाला नहीं है। हालांकि पिछले कुछ समय से यह स्थिति बदली है।

वोट नहीं देते सरकार को ज्यादा कोसते

जो लोग वोट नहीं देते हैं, उनको सरकार से सवाल करने का भी हक नहीं है। लेकिन देखा यह जाता है कि जो लोग वोट नहीं देते हैं, वही सरकार और नेताओं पर ज्यादा टीका-टिप्पणी करते रहते हैं। 

‘अनसुने तीसरे’ बदल सकते परिणाम

वोट न देने वालों को ‘अनसुने तीसरे’ के रूप में जाना जाता है। अगर इनके वोट मतदान प्रक्रिया में आएं तो बहुत संभव है कि चुनाव का नतीजा भी बदल सकता है।

जनता बोली-

-    18 वर्ष आयु पूरी होने पर स्कूल-कालेज में ही मतदाता बना दिया जाना चाहिए 
-    घर-घर सूची में नाम जांचने और मौके पर मतदाता बनाने का अभियान चले।  
-    आधार नंबर से जुड़ी पर्ची का मैसेज भेजा जाए, उसके आधार पर वोट पड़े। 
-    मतदान केंद्रों में टोकन सिस्टम हो ताकि लोग आसानी से वोट दे सकें
-    डिजिटल इंडिया में वोट देने के लिए भी ऑनलाइन व्यवस्था की जानी चाहिए।
-    मतदान केंद्रों में टोकन सिस्टम हो ताकि लोग आसानी से वोट दे सकें
-    मतदान नहीं करने वालों को कुछ सुविधाओं से तत्काल वंचित करना चाहिए

समस्याएं-कारण यह भी हैं 

-    मतदाताओं की बढ़ती संख्या के अनुरूप मतदान केंद्रों की संख्या नहीं बढ़ी है। 
-    शहरी मतदाता लाइन से बचने और छुट्टी मनाने जैसे कारणों से वोट नहीं डालते।
-     लोग चुनावी वादे पूरे करने की गारंटी, मुद्दों और समस्याओं का हल चाहते हैं।

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