हल्द्वानी: अंग्रेजों की खंडहर जेल में खुलेगा कारखाना, 1903 में बनी थी जेल

नए कारागार के बगल में बनी है अंग्रेजों की बनाई जेल, इसी जेल में चलेगा बेकरी कारखाना

हल्द्वानी: अंग्रेजों की खंडहर जेल में खुलेगा कारखाना, 1903 में बनी थी जेल

हल्द्वानी, अमृत विचार। हल्द्वानी उपकारागार को बाद में बनाया गया, इससे पहले यहां अंग्रेजों की बनाई जेल थी जो आज भी लगभग खंडहर हो चुकी इमारत के रूप में मौजूद है। बेकाम की हो चुकी अंग्रेजों की बनाई जेल में अब जेल प्रशासन बेकरी का कारखाना खोलने जा रहा है। जल्द ही कारखाने का उद्घाटन होगा और जेल में बने बेकरी उत्पाद बाजार में नजर आएंगे। 

हल्द्वानी उपकारागार के ठीक बगल में अंग्रेजों की बनाई जेल है। इस जेल का निर्माण 1903 में कराया गया था और सुल्ताना डाकू जैसे खूंखार डकैत इसकी बैरकों में सजा काट चुके हैं। नए कारागार के निर्माण के बाद पुरानी जेल का उपयोग बंद कर दिया गया, लेकिन अब एक बार फिर इसे उपयोग में लाया जाएगा।

जेल प्रशासन ने खंडहर हो चुकी अंग्रेजों की जेल को संवारने की कवायद में जुट गया। बता दें कि कुछ ही दिन पहले जेल प्रशासन ने जेल में जेल बेकरी कारखाना खोलने की घोषणा की थी। जेल प्रशासन इसके लिए उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहा था। ताकि कारखाने का सेटअप लगाया जा सके। ऐसे में जेल प्रशासन ने पुरानी जेल को उपयोग में लाने का मन बनाया। 

पहले ध्वस्त करने की बनाई गई थी योजना
कारागार के एक बड़े हिस्से पर अंग्रेजों की बनाई जेल स्थापित है। दशकों से इस जेल का उपयोग नही हो रहा है। इस जेल की बैरकें बेहद छोटी, छत नीचे और दरवाजों की लंबाई-चौड़ाई भी बेहद कम है। एक तरह से इसकी बैरकें काल कोठरी जैसी हैं। अनउपयोगी हो चुकी इस इमारत को करीब डेढ़ साल पहले जेल प्रशासन ने ध्वस्त करने का मन बनाया था और तय किया था कि यहां नई बैरकों की निर्माण होगा। इसका एक प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भी भेजा गया था, लेकिन अब इसे फिर से संवालने की तैयारी है। 


बेकरी की मशीनों को 1903 के बने कमरों में स्थापित किया जाएगा। इससे पहले उन कमरों में फर्श बनाने के साथ अन्य मरम्मत के काम किए जाने हैं। शहर के कुछ बड़े बेकरी उत्पादकों से बातचीत की गई है, जिनके जरिये कैदी-बंदियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। 
- प्रमोद पांडे, जेल अधीक्षक