बरेली: स्मार्ट क्लास के दौर में दरी पर बैठकर बेसिक स्कूलों के छात्रों ने दी परीक्षा

जिले में 2482 स्कूलों में तीन लाख के सापेक्ष 60 प्रतिशत बच्चों ने दी परीक्षा

बरेली: स्मार्ट क्लास के दौर में दरी पर बैठकर बेसिक स्कूलों के छात्रों ने दी परीक्षा

बरेली, अमृत विचार। सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और है। बुधवार से बेसिक स्कूलों में वार्षिक परीक्षा शुरू हुई तो कई केंद्रों पर फर्नीचर न होने से बच्चों ने दरी पर बैठकर परीक्षा दी। इसके अलावा जिन विद्यालयों में सिर्फ एक शिक्षक थे, वहां प्रश्नपत्र लेने के चक्कर में देरी से परीक्षा शुरू हो सकी।

बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित 2482 विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा के पहले दिन सातवीं कक्षा के गणित के प्रश्न पत्र में एक सवाल मिस प्रिंट होने से परीक्षार्थी परेशान हुए। जिले में तीन लाख से अधिक अध्ययनरत विद्यार्थियों में से सिर्फ 60 प्रतिशत ही उपस्थित रहे। इनमें 60 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी और चालीस प्रतशित अनुपस्थित रहे।

मझगवां ब्लाक के कुछ विद्यालयों में प्रश्न पत्र वितरण में देरी हुई। यहां कक्षा दो का पेपर गुम हो गया, जिससे शिक्षकों के हाथ पैर फूल गए, हालांकि कुछ देर बाद बंडल में पेपर मिल गया। कई स्कूलों में कक्ष निरीक्षकों की कमी महसूस की गई। एक कक्ष निरीक्षक को कई कक्षाओं की परीक्षा दिलानी पड़ी। देर शाम तक तमाम संकलन केंद्रों पर उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल जमा होते रहे।

पहली पाली में सातवीं कक्षा के गणित के पेपर में प्रश्न संख्या दो के ग प्रश्न की मिस प्रिंटिंग होने से परीक्षार्थियों को परेशानी हुई। इस पर शिक्षकों ने प्रश्न छोड़कर दूसरा प्रश्न हल करने की सलाह दी। कई स्कूलों में परीक्षार्थियों की संख्या से कम पेपर मिले, जिस पर आनन-फानन में संकुल प्रभारी ने पेपरों की व्यवस्था कराई। वहीं फर्नीचर नहीं होने से परीक्षार्थियों को दरी बिछाकर परीक्षाएं संचालित की गईं। बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि जिले में परीक्षाएं सकुशल संचालित की गईं। कॉपी पर लिखने की कोई जानकारी नहीं है। कई केंद्रों पर छोटी समस्याएं रहने की जानकारी मिली है। जहां भी गड़बड़ी की सूचना थी वहां खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है।

गैर हाजिर बच्चों को लेकर संशय
शिक्षकों के अनुसार परीक्षा में गैरहाजिर बच्चों की संख्या अधिक होने से परेशानी बढ़ गई है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों के सामने गैरहाजिर बच्चों को पास करने को लेकर संशय बना हुआ है, क्योंकि जो बच्चे लगातार अनुपस्थित चल रहे हैं और वह परीक्षा में भी शामिल नहीं हैं। इस सवाल का जवाब विभागीय अधिकारियों के पास भी नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कम पड़ीं उत्तर पुस्तिकाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में बजट नहीं मिलने पर उत्तर पुस्तिकाएं नहीं उपलब्ध हो सकीं। इसकी वजह से बच्चों ने स्वयं की कॉपियों पर परीक्षा दी। कुछ विद्यालयों में शिक्षकों ने अपने निजी वहन से उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण कराया। दूसरी पाली में कक्षा तीन से आठ तक कला की परीक्षा में बच्चों को प्रश्न पत्र ही वितरित नहीं किया गया। इसके विकल्प के रूप में शिक्षकों की ओर से बोर्ड पर एक पेंसिल स्कैच और एक कलर पेंटिंग बनाकर परीक्षाएं संचालित की गईं।

ये भी पढे़ं- बरेली: आईवीआरआई जल्द शुरू करेगा ऑनलाइन डिप्लोमा पाठ्यक्रम