आखिरी सांस तक करेंगे सनातन की सेवा, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है संकल्प : धीरेंद्र शास्त्री

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Published By Bhawna
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कथा पंडाल में हर ओर जयश्रीराम, जय हनुमान का जयघोष, भगवा रंग में रंगी पीतल नगरी, श्रीहनुमान चालीसा व आरती के बाद नया मुरादाबाद में तीन दिवसीय श्रीहनुमंत कथा को दिया विराम

मुरादाबाद, अमृत विचार। नया मुरादाबाद में तीन दिवसीय श्रीहनुमंत कथा के आखिरी दिन बुधवार को बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि आखिरी सांस तक वह सनातन धर्म की सेवा करेंगे। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना उनका संकल्प है। उन्होंने लोगों से हाथ उठवाकर पूछा कि बताओ कौन-कौन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के पक्ष में है तो सभी ने अपने दोनों हाथ उठाकर उनके संकल्प को साकार करने की शपथ ली।

बाबा नीब करौरी आश्रम ट्रस्ट और लोहिया मानव कल्याण ट्रस्ट के तत्वावधान में तीन दिवसीय श्रीहनुमंत कथा के आखिरी दिन पंडाल में करीब दो लाख श्रद्धालु जुटे। कथा का श्रवण कराने के लिए जैसे ही पं. धीरेंद्र शास्त्री मंच पर आए तो सभी रामभक्तों ने खड़े होकर उनका अभिवादन और नमन किया। पंडाल में हर ओर भक्तों का सैलाब दिख रहा था। भगवान हनुमान के प्रति अगाध श्रद्धा व भक्ति में लीन हजारों भक्तों ने रात भर पंडाल में सोकर गुजारी। कथा के आखिरी दिन पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मंच पर आने का समय दोपहर 3 बजे तय था। लेकिन श्रद्धालुओं की बाबा के प्रति प्रेम और हनुमान कथा के प्रति आस्था का ही प्रभाव रहा कि 11 बजे से ही भक्त पंडाल में पहुंचने लगे। हर समय पंडाल में जय श्रीराम और हनुमान के भजनों ने माहौल को भक्तिमय बनाए रखा। 

पंडाल के बाहर जैसे ही 3.46 बजे बाबा की गाड़ी भक्तों ने देखी तो उनका उत्साह चरम पर पहुंच गया। हर ओर बाबा बागेश्वर धाम, सन्यासी बाबा की जय के जयकारे गूंजने लगे। जय श्रीराम के जयघोष के साथ बाबा ने भक्तों का अभिनंदन स्वीकार कर 3.52 पर मंचासीन हुए। उन्होंने माधव नगर के पागलों कहकर रामभक्तों को संबोधित किया तो सभी अपनेपन के भाव से भर गए। चेहरे पर तेज और मुख पर मुस्कान लिए बाबा अपनी गद्दी पर बैठे और राम, जय श्रीराम, श्रीराम जय जय राम के साथ कथा प्रारंभ की। उन्होंने भक्तों को दुख और सुख, हनुमंत कथा का विस्तार से श्रवण कराया। इसे सुनकर भक्त भाव विह्वल हो गए।

हिंदू राष्ट्र ही हमारे जीवन का लक्ष्य
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा के दौरान सबसे ज्यादा जोर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने पर दिया। उन्होंने कहा कि सनातन ही सबसे पुराना धर्म है। प्रभु सिर्फ एक है। हालांकि प्रभु को एक बताने के लिए लोगों ने अपने-अपने प्रभु बना लिए। कहा कि हमारे जीवन का लक्ष्य संपूर्ण भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है। गर्व से कहो हम हिंदू है। उन्होंने पंडाल में मौजूद लोगों से पूछा कि कौन-कौन भारत को हिंदू राष्ट्र बनते देखने चाहता है। भक्तों ने दोनों हाथ उठाकर जय श्रीराम के जयघोष से उनकी बात का समर्थन किया। कहा कि जब तक हमारे शरीर में एक भी सांस रहेंगी, तब तक हम सनातन धर्म की सेवा करते रहेंगे।

सनातन धर्म के मार्ग को आगे बढ़ाने आए हैं
बाबा ने कथा के दौरान कहा कि उनके जीवन का लक्ष्य सिर्फ सनातन की सेवा करना है। हम धर्म के मार्ग से सनातन को बढ़ाने आए हैं। एक दिन हर भारतीय के घर में भगवा झंडा लहराना ही लक्ष्य है। सनातन किसी धर्म विशेष से घृणा नहीं सिखाता है, न ही हम किसी धर्म के विरोधी हैं। हमारे जीवन का लक्ष्य धर्म के रास्ते पर चलकर सनातन को बढ़ाना है।

माया नहीं, माधव को पकड़ो
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने वैसे तो कथा में बहुत बार श्रद्धालुओं को हंसाया, लेकिन अलग माहौल तब बना जब उन्होंने कहा कि लोग हमसे माया से दूर जाने के उपाय पूछते हैं। लेकिन, हम तो खुद माया लेकर कथा का श्रवण करा रहे हैं। इस पर सभी भक्त हंसने लगे। इसके बाद बाबा ने कहा कि सभी भक्त माया को छोड़ने के चक्कर में न पड़े। उन्हें माधव को पकड़ना चाहिए।

जब मान लो, तभी सुख प्रारंभ
बाबा ने सुख और दुख क्या है भक्तों को समझाते हुए कहा कि असंतुष्टि दुख है और संतुष्टि सुख है। कहा कि अक्सर हमारे पास यह है यह नहीं है के चक्कर में असंतुष्ट हो जाते हैं। जिससे हम दुखी रहने लगते हैं, लेकिन जिस दिन हमने हमारे पास जितना है, उसमें संतुष्ट रहना सीख लिया तो उसी दिन से हम सुखी हो जाएंगे।

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