अजब संयोग : रामपुर में भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले पर सभी नए चेहरे, नवाब और आजम खां परिवार लोकसभा के चुनाव से दूर

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Published By Bhawna
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 सपा और बसपा का गलियार पार करते हुए भाजपा के टिकट पर दूसरी बार सांसद का चुनाव लड़ रहे घनश्याम सिंह लोधी

रामपुर, अमृत विचार। पूर्व मंत्री आजम खां के करीबी रहे घनश्याम सिंह लोधी का 2016 में हुए एमएलसी चुनाव के लिए हेलीकाप्टर से सिंबल आया था। इस पर उन्होंने जीत दर्ज की थी। सपा और बसपा का गलियारा पार करते हुए सांसद घनश्याम सिंह लोधी भाजपा के टिकट पर दोबारा चुनावी दंगल में ताल ठोंक रहे हैं। इससे पहले आजम खां के लोकसभा सीट से इस्तीाफा देने के बाद रामपुर में 2022 में लोकसभा उप चुनाव में लोधी ने जीत दर्ज की थी। पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि, भाजपा प्रत्याशी की राह मुश्किल नहीं है, क्योंकि मुकाबले में सभी नये चेहरे हैं। नवाब परिवार और आजम खां का परिवार लोकसभा चुनाव से दूर हैं।

लोकसभा सीट से 2019 में समाजवादी पार्टी से आजम खां सांसद चुने गए थे। आजम 2022 में सीतापुर जेल से विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और अब लोकसभा उप चुनाव के लिए 23 जून को मतदान हुआ। भाजपा प्रत्याशी ने सपा प्रत्याशी आसिम राजा को करीब 42,000 से ज्यादा वोटों से करारी शिकस्त दी। 2016 में हुए एमएलसी चुनाव के लिए घनश्याम सिंह लोधी के लिए लखनऊ से हेलीकाप्टर से सपा का टिकट आया था। हालांकि, घनश्याम सिंह लोधी की राजनीति भारतीय जनता पार्टी से ही शुरू हुई थी। तब वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के काफी करीबी थे। वह भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे। 

1999 में वह भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए और तीसरे पायदान पर रहे थे। जब कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई तो घनश्याम लोधी भी इसमें शामिल हो गए। वर्ष 2004 में घनश्याम लोधी को इसका इनाम मिला। राष्ट्रीय क्रांति पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके घनश्याम को बरेली-रामपुर एमएलसी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीत गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में घनश्याम सिंह लोधी ने फिर से बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें रामपुर से उम्मीदवार भी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। 

तब समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी जयाप्रदा ने जीत हासिल की थी। चुनाव में मिली हार के बाद 2011 में घनश्याम सिंह लोधी फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और पार्टी के पक्ष में खूब माहौल बनाया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव और फिर 2019 कके लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने सपा के लिए प्रचार किया। घनश्याम को आजम खां का काफी करीबी माना जाता था। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले घनश्याम सिंह लोधी ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। पार्टी ने उन्हें 2022 में हुए उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया। इसमें उन्होंने जीत दर्ज की। अब एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने घनश्याम सिंह लोधी पर भरोसा जताया है।

नए प्रत्याशियों के लिए 17,25,944 मतदाताओं तक पहुंचने की बड़ी चुनौती
भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी के समक्ष सपा से मोहिबुल्लाह नदवी और बसपा से जीशान खां हैं। इनके अलावा दो निर्दलीय एक माइनोरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी हैं। मजेदार बात यह है कि राजनीति के इस धुरंधर खिलाड़ी के सामने सपा और बसपा ने नए चेहरे उतारे हैं। सपा प्रत्याशी का चेहरा तो 28 मार्च को ही साफ हुआ है। क्योंकि सपा के टिकट पर दो प्रत्याशियों ने नामांकन करा दिया था। आजम के करीबी आसिम राजा का नामांकन खारिज हो गया था। क्योंकि उनके पास पार्टी सिंबल नहीं था। 19 अप्रैल को मतदान होना है और इन 19 दिन में नए प्रत्याशियों को जिले में 17,25,944 मतदाताओं तक पहुंचने की बड़ी चुनौती है।

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