मेडिकल कॉलेज: स्टाफ बढ़ा और संसाधन भी, फिर भी घट गई ऑपरेशन की संख्या, जानें पूरा मामला

Amrit Vichar Network
Published By Moazzam Beg
On

पीलीभीत, अमृत विचार। कहने को तो मरीजों को समुचित इलाज की सुविधा देने के लिए मेडिकल कॉलेज में संसाधन और डॉक्टरों की कमी लगभग पूरी कर दी गई है। ओपीडी में मरीज भी बढ़ रहे हैं, लेकिन मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो पा रहे। मेडिकल कॉलेज बनने से पहले जिला अस्पताल में प्रतिदिन 10 से 12 का आंकड़ा रहता था। जो अब संसाधन और स्टाफ बढ़ने के बाद तेजी से घटकर पांच से छह पर आकर टिक गया है।

 जनपद में दशकों से संचालित हो रहे  संयुक्त जिला चिकित्सालय को उच्चीकरण करते हुए वर्ष 2020 में मेडिकल कॉलेज की मंजूरी मिली थी। इसी क्रम में संयुक्त चिकित्सालय में संचालित हो रहे महिला और पुरुष अस्पताल को भी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कर दिया गया था। एक अप्रैल 2023 को एलओपी करते हुए मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिला था। 

मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जिले वासियों को लगा था कि उन्हें अब इलाज के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा। शासन की ओर से डॉ. संगीता अनेजा को  प्राचार्य बनाकर भेजा गया है। डॉक्टरों की तैनाती की गई। 

वर्तमान समय में जरनल सर्जरी में सात डॉक्टर, डेंटल में तीन, आर्थोपेडिक में चार, नेत्र में तीन डॉक्टरों की तैनाती है। इसके अलावा फिजीशियन, न्यूरो और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भी हैं। संसाधन बढ़ने के साथ जब स्टाफ बढ़ा तो मरीजों को लगा था कि उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा। मगर यहां व्यवस्थाएं में सुधार बाने के बजाए बेपटरी हो गई है। जिस संयुक्त चिकित्सालय में सिर्फ एक सर्जरी डॉक्टर के सहारे प्रतिदिन 10 से 12 ऑपरेशन किए जाते हैं। 

वहां अब जरनल सर्जरी में सात डॉक्टर होने के बाद भी आंकड़ा चार से पांच पहुंच रहा है। जहां उन्होंने कई बढ़े ऑपरेशन किए। जिसमें हार्निया, हाईड्रोसील, गठिया, बच्चेदानी आदि के ऑपरेशन किए गए। उनके समय में प्रतिदिन 10 से  12 और तो कही 15 ऑपरेशन तक रेस्यू पहुंच रहा है। स्थिति यह है कि यहां अब डॉक्टरों ने सोमवार और मंगलवार का दिन ऑपरेशन के लिए तय किया हुआ है। जिस वजह से मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

पहले मरीज ओपीडी में दिखाने के लिए आता है, तो वहीं बाद में ऑपरेशन के लिए समय दे दिया जाता है। तो कभी डॉक्टर नहीं पहुंचते हैं। जिस वजह से मरीज घंटों इंतजार करने के बाद वापस लौट निजी अस्पतालों की ओर रुख  कर लेते हैं। मार्च में करीब 180 ऑपरेशन ही हो सके हैं। जबकि  पिछले साल वर्ष 2023 में करीब 4320 ऑपरेशन किए गए थे। इस हिसाब से करीब ऑपरेशन में 30 फीसदी की कमी आई है। ऑपरेशन घटने से जमा होने वाले राजकोष में भी कमी आई है। इसको लेकर जिम्मेदार मंथन करने में जुटे हुए हैं।  

हड्डी के तीन डॉक्टर, फिर भी रेफर हो रहे मरीज
मेडिकल कॉलेज बनने से पहले सिर्फ डॉ. संजीव सक्सेना हड्डी रोग विशेषज्ञ के तौर पर कार्यरत थे। मगर मेडिकल कॉलेज बनने के बाद उन्हें कार्यावाहक प्राचार्य का जिम्मा सौंप दिया गया था। जब प्राचार्य डॉ.संगीता अनेजा ने ज्वाइन किया तो उन्हें प्रशासनिक कार्यो की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। 

डॉ. संजीव सक्सेना के अलावा शुरुआत में ही हड्डी रोग विशेषज्ञ में डॉ. निरंजन विश्वास और डॉ. विमलेश ने ज्वाइन किया था। इसके बाद भी हड्डी के समस्त केसों को रेफर किया जाता है। डॉक्टरों का तर्क है कि यहां उनके हिसाब के संसाधन मुहैया नहीं है। इसलिए वह ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं। चाहे फिर वह एक्सीडेंट का क्यों न हो। मेडिकल कॉलेज में हड्डी टूटने पर प्लास्टर चढ़ाने तक ही काम सीमित है।

नहीं होते इमरजेंसी ऑपरेशन
मेडिकल कॉलेज भले ही समस्त सुविधाओं से लैस हो गया हो, लेकिन यहां एक भी इमरजेंसी ऑपरेशन नहीं किया जाता है। आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के लोग अगर मरीज को यहां लेकर पहुंचते है, तो उनका इमरजेंसी में ऑपरेशन नहीं किया जाता है। 

डॉक्टरों की ओर से उन्हें रुकने के लिए कहा जाता है, या फिर रेफर कर दिया जाता है। सिर्फ मामला हाईप्रोफाइल होने पर ही इमरजेंसी केस को रिसीव किया जाता है। वरना उन्हें टरकाने का प्रयास होता है। स्थिति ऐसी है कि अगर कोई दुर्घटना में घायल मरीज इमरजेंसी में पहुंचे और उसका ऑपरेशन होना है,तो उसे रेफर कर दिया जाता है। ऐसा ही हाल महिला विंग का है। जहां प्रसव के लिए आने वाली महिला का इमरजेंसी में ऑपरेशन नहीं किया जाता है।    

मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने पर सुविधा बढ़ी है। आगे और सुधार के प्रयास जारी हैं। पहले 130 बेड की तैयारी थी। चूकिं अब 300 बेड को लेकर मेडिकल कॉलेज में भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। डॉक्टरों को ऑपरेशन करने के निर्देश दिए गए हैं। एनएमसी होने के बाद व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर आ जाएगी। ऑपरेशन बढ़ाने का प्रयास जारी है। - डॉ. संजीव सक्सेना, सीएमएस पुरुष अस्पताल मेडिकल कॉलेज

ये भी पढे़ं- पीलीभीत: पहले पकड़ो बाघ फिर डालेंगे वोट... ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार का एलान, जानें पूरा मामला

 

संबंधित समाचार