पीलीभीत: पहले पकड़ो बाघ फिर डालेंगे वोट... ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार का एलान, जानें पूरा मामला

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत, अमृत विचार। जंगल से निकले बाघ आबादी क्षेत्र में घुसकर आतंक मचा रहे हैं। कई इंसान बाघ हमलों में अपनी जानें भी गंवा चुके हैं। वहीं छुट्टा पशु भी किसानों के खून-पसीने से तैयार की गई फसलों को रौंदते आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव आ चुका है, मगर ग्रामीणों की यह जुनूनी समस्याएं राजनीतिक दलों के सियासी एजेंडे से कोसो दूर हैं। 

ऐसे में परेशानहाल ग्रामीणों ने अब खुद ही सरकार व सरकारी मशीनरी का ध्यान आकर्षित कराने के लिए चुनाव के दौरान प्रयोग किए जाने वाले फंडे का इस्तेमाल किया है। आबादी क्षेत्र में घूम रहे बाघों और छुट्टा पशुओं को न पकड़ने पर जंगल से सटे गांवों के ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार का एलान किया है। इधर मतदान बहिष्कार की जानकारी पर प्रशासन में हड़कंप है।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में आंकड़ों के मुताबिक 71 बाघ हैं, मगर जानकारों के मुताबिक यहां 100 से अधिक हैं। बाघों की बढ़ती आबादी और जंगलों के सिकुड़ते दायरे के चलते पिछले कुछ सालों से बाघों ने जंगल से निकलकर आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। मौजूदा समय में बाघों का आबादी क्षेत्र में आने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

आबादी कवाले इलाकों में बाघों की घुसपैठ से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही है। बीते साल की बात करें तो बाघ हमलों में सात इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। चालू वर्ष की बात करें तो जंगल से निकले बाघ महोफ रेंज से सटे ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। 

बीते तीन माह में महोफ रेंज से सटे दो गांवों के ग्रामीणों की बाघ हमले में मौत हो चुकी है, जबकि एक महिला समेत तीन लोग बाघ हमले में बुरी तरह जख्मी भी हो चुके हैं। लगातार हो रहे बाघ हमलों को लेकर जंगल से सटे ग्रामीण लगातार आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार ग्रामीणों की आवाज को महज शोर समझकर दबाते आ रहे हैं। 

इधर अब लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, ऐसे में महोफ रेंज से सटे गांव पंडरी समेत आसपास के अन्य गांवो के ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार को हथियार बनाते हुए अपनी आवाज सरकार एवं सरकारी मशीनरी तक पहुंचाने की मुहिम शुरू कर दी है। 

मतदान बहिष्कार करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बाघ और छुटा पशुओं को नहीं पकड़ा जाएगा, वे सभी मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे। इधर गांव शिवपुरिया के पास वनकटी रोड पर रविवार सुबह पंडरी, शिवपुरिया, हरकिशनापुर आदि गांवों के ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर बाघ पकड़वाने और बाघ न पकड़े जाने पर मतदान बहिष्कार की बात कही।

इन गांवों में भी है मतदान बहिष्कार की सुगबुगाहट
महोफ रेंज से सटे गांव हरकिशनापुर, शिवपुरिया, बिठौराखुर्द में मतदान बहिष्कार की सुगबुगाहट हैं। इन गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि आबादी में घूम रहे बाघ और छुट्टा पशुओं जीना मुहाल कर रखा है। जान और फसल दोनों बचाना मुश्किल हो रहा है। यदि आबादी में घूम रहे बाघों और छुट्टा पशुओं को नहीं पकड़ा जाता तो हम सभी भी मतदान बहिष्कार करेंगे। बताते हैं कि इन गांवों में बैनर टांगने की तैयारी चल रही है।

सोशल मीडिया पर छाया मतदान बहिष्कार का मुद्दा
शहर से लेकर गांवों तक सोशल मीडिया का दखल है। जंगल से सटे इन गांवों के ग्रामीणों ने भी मतदान बहिष्कार के मुददे को लेकर सोशल मीडिया का सहारा लिया है। पंडरी गांव के चौराहे पर रविवार को खड़े कई ग्रामीण आपस में मतदान बहिष्कार से जुड़ी पोस्ट को शेयर करते और एक दूसरे को दिखाते दिखे। ग्रामीण मतदान बहिष्कार संबंधी पोस्ट और बैनर अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल के स्टेट्स पर लगा रहे हैं।

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