Kanpur: मेट्रो कॉरिडोर एक और दो को जोड़ेगा रावतपुर स्टेशन; बाउंड्रीवाल के लिये खुदाई कार्य शुरू

Kanpur: मेट्रो कॉरिडोर एक और दो को जोड़ेगा रावतपुर स्टेशन; बाउंड्रीवाल के लिये खुदाई कार्य शुरू

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के कॉरिडोर-2 (सीएसए से बर्रा-8) के अंतर्गत लगभग 4.10 किमी. लंबे रावतपुर-डबल पुलिया अंडरग्राउंड सेक्शन में कार्य हो रहा है। सोमवार विधिवत पूजा के बाद रावतपुर स्टेशन की बाउंड्रीवाल (डायाफ्राम वॉल) निर्माण का कार्य शुरू हो गया। यूपीएमआरसी के अधिकारियों की उपस्थिति में पहले पैनल को ज़मीन के अंदर लोअर करने के लिए ख़ुदाई की प्रक्रिया शुरू हुई। 

दिसंबर-2023 में टेंडर अवार्ड होने के बाद से ही रावतपुर सेक्शन पर मृदा परीक्षण, बैरिकेडिंग, यूटिलिटी शिफ्टिंग आदि प्री कंस्ट्रक्शन स्टेज के कार्य शुरू किये गए थे। सोमवार को डी-वॉल के लिए ख़ुदाई प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इस सेक्शन का निर्माण कार्य अब अपने अगले पड़ाव पर पहुंच गया है।

इस सेक्शन के अंतर्गत तीन मेट्रो स्टेशनों रावतपुर, काकादेव और डबल पुलिया का निर्माण होना है। रावतपुर अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन कानपुर मेट्रो के दोनों कॉरिडोर को जोड़ने वाला अहम स्टेशन होगा। कॉरिडोर-2 के अंतर्गत निर्माणाधीन रावतपुर अंडरग्राउंड स्टेशन को एलिवेटेड स्टेशन से जोड़ा जाएगा। 

मेट्रो यात्री पहले से दूसरे या दूसरे से पहले कॉरिडोर के स्टेशनों तक जाने के लिए इसी स्टेशन से ट्रेन बदलेंगे। कानपुर मेट्रो के परियोजना निदेशक ऋषि गंगवार और चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजहर सरताज ने बताया कि डी-वॉल को मेट्रो स्टेशन की बाउंड्री के रूप में समझा जा सकता है। छोटे-छोटे आयताकार पैनल्स के साथ डी-वॉल तैयार की जाएगी। 

रावतपुर मेट्रो स्टेशन में डी-वॉल के लिए अलग-अलग आकार के ऐसे 65 पैनल्स लगाए जाएंगे। यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने कहा कि, ये तीनों ही मेट्रो स्टेशन, शहर के प्रमुख इलाक़ों में स्थित हैं। इनके बन जाने से रेलवे लाइन के दोनो तरफ के लोगों के लिए शहर के अंदर आने-जाने का एक नया सुविधापूर्ण मार्ग खुलेगा।

टॉप-डाउन प्रणाली से तैयार होंगे स्टेशन 

लगभग 4.10 किमी. लंबे कॉरिडोर-2 (सीएसए से बर्रा-8) के अंडरग्राउंड सेक्शन में तीन मेट्रो स्टेशन बनने हैं; रावतपुर, काकादेव और डबल पुलिया। कानपुर मेट्रो कॉरिडोर-2 के ये अंडरग्राउंड स्टेशन ‘टॉप-डाउन प्रणाली’ से तैयार होंगे यानी निर्माण कार्य ऊपर से नीचे की ओर होंगे। 

स्टेशनों के छत की ढलाई होने के बाद, कॉनकोर्स लेवल और फिर प्लैटफ़ॉर्म लेवल का निर्माण होगा। पहले तल का निर्माण होने के बाद, सड़क पर लगी बैरिकेडिंग को कम किया जा सके। सड़क के नीचे स्टेशन का निर्माण कार्य चलता रहे और सड़क पर वाहनों की आवाजाही भी सुचारू रूप से जारी रहे। कॉरिडोर-1 के दोनो भूमिगत सेक्शनों का निर्माण भी इसी प्रणाली से किया जा रहा है।

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