शाहजहांपुर: खुटार की अस्थाई गोशाला में दो दिन में सात पशुओं की मौत, प्रधान व सचिव पर लापरवाही का आरोप

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Published By Vishal Singh
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गोशाला की चन्नी खाली पड़ी, भूख से मौत की आशंका

खुटार, अमृत विचार। पशुओं को पालने के लिए बनाई गई अस्थाई गोशाला सात पशुओं का काल बन गई। बीते दो दिनों में गांव सिमरा वीरान में स्थित अस्थाई गोशाला में सात पशुओं की मौत हो चुकी है। अभी और भी पशु बीमार हैं। गोशाला में पशुओं को चारा डालने वाली चन्नियां खाली पड़ी हैं। इससे आशंका जताई जा रही है कि पशुओं की मौत भूख से हुई है।  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेजुबान पशुओं को पनाह देने के लिए शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में गोशाला खुलवाई हैं। गोशालाओं में पशुओं को बेहतर सुविधाएं दी जानी हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सुविधाओं के अभाव में पशु मर रहे हैं। गांव सिमरा वीरान में राजकीय गोसदन के पास अस्थाई गोशाला में दो दिन के दौरान सात पशुओं की मौत हो जाने से तमाम सवाल उठ रहे हैं। सोमवार को गोशाला में भूसे की चन्नी खाली पड़ी मिली, इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि शायद पशुओं की मौत भूख प्यास से हुई होगी। ग्रामीणों ने तमाम आरोप ग्राम प्रधान व सचिव पर लगाए हैं।

अस्थाई गोशाला में करीब छह सौ पशु पल रहे हैं। देखरेख ग्वाले वीरेंद्र, अरुण, रजनेश, बलराम, सुरेश, प्रदीप, महेंद्र, भूरे, सुरेंद्र और राममूर्ति करते हैं। देखरेख की जिम्मेदारी प्रधान, सचिव पर है। ग्वालो ने बताया कि दो दिन दिन से भूसा नहीं है। तेज धूप में भूख से पशु बिलख रहे हैं। गोशाला में हरा चारा भी नहीं है। केवल पानी पीकर पशुओं की भूख मिटाई जा रही हैं। पशुओं को चारा और भूसा नसीब नहीं होने से हड्डियो का ढांचा दिखाई पड़ने लगा है। बदइंतजामी से रविवार को गोशाला में चार पशुओं की मौत हो गई। उसके दूसरे दिन सोमवार को फिर से तीन पशुओं ने दम तोड़ दिया। साथ ही कई पशु बीमार हैं, जो दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी बेजुबान पशुओं की तरफ देखने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। देखा जाए तो गोशाला सिर्फ दिखावा ही बनकर रह गई है।

आंसुओं से पीड़ा बयां कर रहे पशु
अस्थाई गोशाला में पशुओं की संख्या तो बढ़ी है पर उनका दर्द किसी जिम्मेदार को नहीं दिखता है। दो दिनों से भूसा तक नसीब नहीं हुआ। बेजुबान पशु कह नहीं सकते, लेकिन आंखों से आंसुओं को बहाकर अपनी पीड़ा बयां कर रहे हैं। बाउंड्री में घूम-घूम कर चारे की तलाश करते रहे और थककर जमीन पर गिरते रहे। दृश्य इतना मार्मिक था कि देखने वालों की आंखों से आंसू आ गए।

हरा चारा, मशीन और वाहन तक नहीं
अस्थाई गोशाला में सात सौ पशु पल रहे हैं, लेकिन खास बात यह है कि उनके खाने को हरा चारा तक नहीं है और न ही चारा मशीन है। करीब एक वर्ष से चन्नी में भूसा डालकर खिलाया जा रहा है। साथ ही गोशाला में वाहन नहीं है। गोशाला में आव्यवस्थाओं के चलते स्थिति दयनीय हालत में है, लेकिन अधिकारी इस बात से बिलकुल बेखबर हैं। भूसा भरने वाली जगह का शटर टूट चुका है। करीब नौ माह से ऐसी ही हालत में है। सूचना जिम्मेदारों को दी गई। फिर भी ध्यान नहीं दिया गया।

16 ट्राली गोबर बेचा, फिर भी भूसा नहीं
अस्थाई गोशाला में हरा चारा तो दूर पशुओं को अब भूसा तक नसीब नहीं हो रहा है। हाल ही में प्रधान ने करीब 16 ट्राली गोबर बेचा था। इसका पैसा कहां गया। इस बात की कोई जानकारी नहीं है। अगर उसी पैसे से पशु के लिए भूसा खरीदा जाता तो शायद जान जाने से बच जाती और बीमार न पड़ते। जिम्मेदारों को इस बात का फर्क नहीं पड़ता है।

गौशाला में भूसा न होने की जानकारी नहीं है। मामले की जांच कराई जाएगी। अगर पशुओं के लिए भूसा आदि की व्यवस्था नहीं की जा रही है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी- डॉ. अपराजिता सिंह, सीडीओ शाहजहांपुर।

मामले की जानकारी हुई है। गोपालकों से बात की गई तो पता चला है कि दो दिन से गोशाला में भूसा नहीं है। भूसे की व्यवस्था कराई गई है। मौके पर पहुंच कर जांच की जाएगी- नमित दीक्षित, ब्लॉक प्रमुख।

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