कोर्ट की अनुमति बिना याचिका के साथ निजी तस्वीरें स्वीकार्य नहीं :High court   

कोर्ट की अनुमति बिना याचिका के साथ निजी तस्वीरें स्वीकार्य नहीं :High court   

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में निजी तस्वीरें को याचिका के साथ संलग्न करने पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि न्यायालय की स्पष्ट अनुमति के बिना निजी या अश्लील तस्वीरें स्वीकार नहीं की जाएंगी। इस संबंध में रजिस्ट्री को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि पक्षकारों के बीच निजी पलों को दर्शाने वाली तस्वीरें या अश्लील तस्वीरें दाखिल करना व्यक्तियों की निजता पर हमला करना है और कई मामलों में यह दर्दनाक अनुभव भी साबित हो सकता है। उक्त निर्देश न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में शामिल पक्षकारों की निजी तस्वीरों को शामिल करने के जवाब में दिया। 

कोर्ट ने कासिमाबाद थाना, गाजीपुर में आईपीसी की धारा 376 और 506 के साथ-साथ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज मामले में राहत की मांग करने वाले प्रद्युम्न गोंड द्वारा दाखिल जमानत याचिका पर विचार करते हुए पाया कि मौजूदा मामले के अलावा आवेदक का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और वह नवंबर 2023 से जेल में बंद था। आरोपी के भागने, सबूत के साथ छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना को ना देखते हुए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली। मामले के अनुसार आरोपी पर शादी का झूठा वादा कर पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है जबकि आरोपी का तर्क है कि पीड़िता और उसके बीच सहमति से शारीरिक संबंध बने थे। उनके रिश्ते में आई गड़बड़ी के परिणामस्वरुप वर्तमान प्राथमिकी दर्ज हुई। आरोपी ने यह भी दावा किया कि उसने पीड़िता का कभी कोई अश्लील वीडियो या तस्वीर नहीं ली। अंत में कोर्ट ने रजिस्ट्री को कानूनी कार्यवाही में शामिल व्यक्तियों की गोपनीयता को प्राथमिकता देने का निर्देश देने के साथ ही आरोपी को सशर्त जमानत दे दी।

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