कन्नौज में जमकर गरजे अखिलेश, बोले; 'पहले चरण के मतदान से ही शुरू हो गई भाजपा की हार'

लोहा जब गर्म हो, तभी करनी चाहिए चोट- अखिलेश

कन्नौज में जमकर गरजे अखिलेश, बोले; 'पहले चरण के मतदान से ही शुरू हो गई भाजपा की हार'

कन्नौज, अमृत विचार। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि-पहले चरण के मतदान से ही भाजपा की हार का सिलसिला शुरू हो गया है, इसलिए भाजपा के बड़े नेताओं की भाषा बदल गई है। उन्होंने सपा सरकार के दौरान कन्नौज में जितने विकास कार्य कराए थे, भाजपा सरकार उन्हें भी नहीं संभाल पाई। अपनी कमियां छिपाने के लिए सरकार तरह-तरह के बहाने कर रही है। 

गुरुवार को कलेक्ट्रेट परिसर में नामांकन करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कन्नौज के विकास की आधारशिला समाजवादियों ने रखी थी। भाजपा सरकार ने केवल नकारात्मकता और नफरत की राजनीति की है जिसे अब जनता जान चुकी है। कन्नौज का पुराना गौरवशाली इतिहास रहा है, जिसकी खुशबू अब फिर से दुनिया भर में फैलेगी। 

राजकीय मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा ने नाम बदलने के अलावा किया ही क्या है। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कैंसर इंस्टीट्यूट बनवाया था, जिसमें अब ताला लगा हुआ है। यही हाल पैरामेडिकल व नर्सिंग कॉलेज का है। उन्होंने बताया कि इलेक्टोरल बांड में भाजपा का बैंड बज गया है। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का चुनाव हुआ, जहां सभी सीटों पर भाजपा हार रही है। यही हाल दूसरे, तीसरे और चौथे चरण के मतदान में भी होगा। सपा पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) को साथ लेकर आगे बढ़ रही है और प्रदेश की सभी 80 सीटों पर भरपूर समर्थन मिल रहा है। यह लोकसभा चुनाव निर्णायक होगा, जिसमें इंडी गठबंधन पूर्ण बहुमत से सरकार बना रही है। प्रेसवार्ता के दौरान बिधूना से सपा विधायक रेखा वर्मा, पूर्व विधायक कलियान सिंह दोहरे, पूर्व विधायक ताहिर हुसैन सिद्दीकी समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित थे। 

लोहा जब गर्म हो, तभी करनी चाहिए चोट

पत्रकारों ने जब अखिलेश यादव से टिकट की घोषणा में देरी का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि-लोहा जब गर्म हो, तभी चोट करनी चाहिए। कन्नौज की जनता भाजपा की नकारात्मक राजनीति से ऊब चुकी थी, इसलिए वह समाजवादियों की तरफ देख रही है। जनता की मांग पर उन्हें कन्नौज से मैदान में उतरना पड़ा। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत भी कन्नौज की धरती से हुई थी, इसलिए वह कन्नौज से कभी दूर नहीं हो सकते। कुछ लोगों को भ्रम हो गया था, जिसे दूर करने के लिए वह आए हुए हैं।

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