हल्द्वानी: 2.99 करोड़ की लिथोट्रिप्सी मशीन 9 साल से फांक रही धूल, केवल 15 मरीजों का ऑपरेशन कर लग गया पूर्णविराम

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में लिथोट्रिप्सी की मशीन अब तकनीक से बाहर हो गई है। यह मशीन नौ साल से डॉक्टर नहीं होने की वजह से बंद पड़ी है। 2.99 करोड़ रुपये से खरीदी गई मशीन अब केवल शोपीस बनकर रह गई है।

साल 2015 में बेस अस्पताल में मरीजों के गुर्दे की पथरी के ऑपरेशन के लिए लीथोट्रिप्सी मशीन खरीदी गई थी। इस मशीन से गुर्दे की पथरी को छोटा-छोटा करके मूत्र नली के रास्ते बाहर निकाला जाता है। शुरूआत में मशीन से 15 मरीजों के गुर्दे की पथरी को निकाला गया था। बाद में संबंधित डॉक्टर का स्थानांतरण हो गया। जिस वजह से मशीन को बंद करना पड़ा। उस समय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि डॉक्टर को शीघ्र भेजा जाएगा और मशीन से दोबारा ऑपरेशन करवाए जाएंगे लेकिन कई साल बीतने के बाद भी डॉक्टर नहीं आए और मशीन बंद पड़ी रही।

जिस कमरे में मशीन को रखा गया है, उस कमरे में ताला भी लगा दिया गया है। अब अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मशीन की तकनीक काफी पुरानी हो गई है। इस तकनीक की लीथोट्रिप्सी की मशीन चलन से बाहर होने लगी है। ऐसे में मशीन का उपयोग नहीं किया जा सकता। केवल 15 मरीजों का ऑपरेशन करके 2.99 करोड़ रुपये की मशीन बेकार हो गई है। बेस अस्पताल के पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि लीथोट्रिप्सी मशीन जिस कमरे में है वहां ताला लगा हुआ है। मशीन की तकनीक भी पुरानी हो गई है। 

नौ बेड के आईसीयू में भी ताला
कोविड की पहली लहर के दौरान साल 2020 में बेस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए नौ बेड का आईसीयू बनाया गया था। डॉक्टर और अन्य स्टाफ नहीं होने की वजह से आईसीयू का इस्तेमाल नहीं हुआ और कमरे में ताला लगा हुआ है। करीब चार साल बीतने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग जरूरी स्टाफ की व्यवस्था नहीं कर पाया है। 

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