सुल्तानपुर : दिलचस्प हुआ चुनाव, त्रिकोणीय मुकाबले का आसार

जातीय समीकरण ने विकास के मुद्दे को किया गायब, भाजपा, सपा और बसपा प्रत्याशी खुद को मान रहे मजबूत

सुल्तानपुर : दिलचस्प हुआ चुनाव, त्रिकोणीय मुकाबले का आसार

मनोज कुमार मिश्र, अमृत विचार। कुशनगरी का चुनाव दिलचस्प हो गया है। यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। चुनाव प्रचार के अंतिम समय में कोई भी विकास का मुद्दा नहीं रहा। जातिगत वोटों के ध्रुवीकरण में तीनों प्रमुख पार्टियां लगी रही। अब देखना दिलचस्प होगा कि लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुकी भाजपा का विजय रथ रोकने को इंडी गठबंधन का जातिगत गणित कितना काम करता है। बसपा अपने कैडर वोटों के बल पर खुद को विजयी मान रहा है।


शनिवार को लोकतंत्र के महापर्व का उत्सव है। लोकसभा के चुनाव में सुलतानपुर सीट से वर्तमान सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। सपा ने प्रदेश सरकार में मंत्री रहे रामभुआल निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है। इस चुनाव में इन दो पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं, बसपा ने उदराज वर्मा को टिकट दिया है। सपा-बसपा ने इस बार भाजपा के एकमुश्त वोट माने जाने वाले कुर्मी व निषाद बिरादरी के मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए जातिगत समीकरण साधने के लिए प्रत्याशी दिए हैं। बसपा का मानना है कि दलित-मुस्लिम और कुर्मी वोटों के साथ आने से लड़ाई मजबूत होगी। सपा भी मुस्लिम, यादव, निषाद वोटों जरिए मुख्य लड़ाई में रहना चाहती है। हालांकि, भाजपा सभी जातियों के बीच जाकर उनका सहयोग व समर्थन चाह रही है।


उल्लेखनीय कि चुनाव प्रचार के दौरान लाभार्थी वर्ग को सांधने में भाजपा प्रत्याशी व पूरा संगठन लगा रहा। विभिन्न योजनाओं को लेकर घर-घर तक पहुंचकर पक्ष में वोट मांगते थे। लेकिन, चुनाव तिथि नजदीक आते-आते सारे विकास के दावे खोखले होते गए और चुनाव जातिगत नजर आने लगा। भाजपा और सपा निषाद वोटरों को साधने में लग गई। अब शनिवार को मतदान होगा। शुक्रवार को दिन भर पार्टी प्रत्याशी, समर्थक अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटे रहे। इस बार सोशल मीडिया को भी प्रचार का हथियार बनाया गया। मतदान के बाद चार जून को नतीजे आएंगे तभी पता चलेगा कि सेहरा किसके सिर बंधेगा।

वरुण का नहीं दिखा असर!  

भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के समर्थन में प्रचार के अंतिम दिन गुरुवार को उनके पुत्र वरुण गांधी माहौल बनाने पहुंचे थे। ताबड़तोड़ आधा दर्जन से अधिक नुक्कड़ सभाओं को उन्होंने संबोधित किया था। इस दौरान वरुण गांधी ने यह कहकर जाति आधारित राजनीति करने वाली पार्टियों की घेराबंदी की कि सिर्फ मानव जाति है। जातिगत राजनीति से किसी का भला होने वाला नहीं है। फिर भी सपा की चाल के चलते उनकी उन 11 स्थानों पर नुक्कड़ सभाएं कराई गई, जहां निषाद या फिर पिछड़ी जाति के वोटरों की संख्या अधिक है।

अब तक निर्वाचित सांसद


वर्ष सदस्य दल
1952-एमए काजिमी-कांग्रेस
1957-गोविंद मालवीय-कांग्रेस
1961 -गनपत सहाय-उपचुनाव-निर्दलीय
1962-कुंवर कृष्ण वर्मा-कांग्रेस
1967-गनपत सहाय-कांग्रेस
1969-पंडित श्रीपति मिश्र-उप चुनाव-भारतीय क्रांति दल
1971-केदारनाथ सिंह-कांग्रेस
1977-जुल्फिकारुल्ला-जनता पार्टी
1980 -गिरिराज सिंह-कांग्रेस
1984- राजकरन सिंह-कांग्रेस
1989-राम सिंह-जनता दल
1991-विश्वनाथ दास शास्त्री-भाजपा
1996-डीबी राय-भाजपा
1998-डीबी राय-भाजपा
1999-जयभद्र सिंह-बसपा
2004 -ताहिर खान-बसपा
2009-डा. संजय सिंह-कांग्रेस
2014-वरुण गांधी-भाजपा
2019-मेनका गांधी-भाजपा
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सुलतानपुर लोकसभा
कुल मतदाता -18,52,912
पुरुष मतदाता-9,64,401
महिला मतदाता-8,88,445
थर्ड जेंडर - 66
नव मतदाता-24,348

फर्स्ट डिवीजन में लाने को आज लगाएं जोर

ज्यादा से ज्यादा मतदान होने से अच्छा प्रत्याशी चुना जाता है। यही लोकतंत्र की असली खुबसूरती है। चुनाव आयोग की मतदान प्रतिशत बढ़ाने में हर स्तर पर प्रयास किया है। काफी कोशिशों के बावजूद पिछली बार जिला मतदान के मामले में प्रथम श्रेणी में नहीं आ सका था। इस बार हम सबकी जिम्मेदारी है कि एक-एक वोट सहेजकर बूथ तक ले जाए और जिले को प्रथम श्रेणी में लाया जाए। इसके लिए सभी को मिलकर थोड़ा-थोड़ा प्रयास करने की जरूरत है। इसमें युवा और महिलाओं की भूमिका अहम होगी। गर्मी अधिक है। फिर हर मतदाता को निकालकर वोट करना चाहिए।


2019 में 58.1 प्रतिशत पड़ा था वोट

2019 लोकसभा चुनाव में कुल 58.1 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में कुल 17,39,538 मत पड़े थे। इसमें 9,11,087 पुरुष, 8,28,387 महिलाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस चुनाव में 9,771 वोट नोटा को पड़े थे। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में 56.6 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस चुनाव में भी 5,412 मत प्राप्त हुए थे। इस बार थोड़ी सी मेहनत की जाए तो 60 प्रतिशत के ऊपर मतदान हो सकता है।