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प्रयागराज : एक साथ दो डिग्रियां लेने के आधार पर रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम पूर्ण करने के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के विनियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा एक साथ नियमित छात्र या निजी छात्र के रूप में नहीं दे सकता है और यदि कोई व्यक्ति एक साथ दोनों परीक्षाओं में उपस्थित पाया जाता है तो उसका परिणाम स्वत: अमान्य घोषित कर दिया जाएगा।
ऐसे उम्मीदवारों के परिणाम को अमान्य घोषित करने का कार्य संबंधित परीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाता है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा के मामले में अप्रैल 2022 से पहले एक साथ दो नियमित पाठ्यक्रम करने पर प्रतिबंध था और अगर किसी व्यक्ति ने ऐसी परीक्षाएं दी हैं तो उसे संबंधित परीक्षा निकाय द्वारा ही रद्द किया जा सकता है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता कि उसने एक साथ दो डिग्रियां अर्जित की हैं, जब तक उसकी नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए प्रमाण पत्र जाली, मनगढ़ंत या सक्षम परीक्षा बोर्ड द्वारा अमान्य घोषित न किए गए हों।
दरअसल वर्ष 2018 में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की अपेक्षित योग्यता रखते हुए याची ने इसमें भाग लिया और उत्तीर्ण हुईं। 5 सितंबर 2018 को उनका नियुक्ति पत्र जारी किया गया, जिसके आधार पर उन्होंने बतौर सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय, नगला अहीर, ब्लॉक किसनी, मैनपुरी में कार्यभार ग्रहण किया। इसके बाद उनका विवाह संदीप कुमार से हुआ। वैवाहिक संबंध तनावपूर्ण होने पर उनके ससुर सुघर सिंह ने जनसुनवाई पोर्टल पर एक ऑनलाइन शिकायत की, जिसमें आरोप लगाया कि अध्यापिका ने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, बीए, बीएससी और बीटीसी तथा एमएससी की डिग्रियां एक साथ पूरी की हैं। ऐसी शिकायत पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अध्यापिका को एक नोटिस जारी किया गया और कुछ ही दिनों बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मैनपुरी द्वारा एक और नोटिस जारी किया गया। इसके बाद उनका वेतन भी रोक दिया गया। अंत में कोर्ट ने विशेष अपील खारिज करते हुए शिक्षिका को बकाया वेतन भुगतान करने के साथ ही सेवा में नियमित करने का निर्देश दिया।
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