Kanpur: दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों को मिलेगी 160 किमी की रफ्तार, फाटक मुक्त भारत योजना के तहत बंद हो चुके एक तिहाई गेट
कानपुर, अमृत विचार। रेलवे बोर्ड ने दिल्ली से हावड़ा के बीच 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनों को दौड़ाने के लिए गाजियाबाद से कानपुर होते हुए हावड़ा तक सभी क्रासिंग के फाटक खत्म करने के लिए फाटक मुक्त भारत अभियान लागू किया है। उत्तर मध्य जोन में गाजियाबाद से कानपुर होते हुए मुगलसराय तक लगभग 765 रेलवे फाटक हैं, इनमें 270 से अधिक फाटक बंद किए जा चुके हैं या उन्हें खत्म करने का काम शुरू किया जा चुका है। आवागमन के लिए इन फाटकों के नीचे सब-वे या उपरिगामी पुल बनाए जा रहे हैं।
दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर ट्रेनों को तेज गति देने के लिए ट्रैक के दोनों ओर रेलवे फाटक खत्म करके दीवार खींचने का काम तेजी से चल रहा है। गाजियाबाद से कानपुर होते हुए मुगलसराय तक ट्रैक किनारे दीवार खींचने का 70 प्रतिशत काम लगभग पूरा हो चुका है। दीवार बनने से तेज गति से ट्रेन दौड़ने के दौरान कोई जानवर आदि ट्रैक पर आने की संभावना समाप्त हो जाएगी और ट्रेन हादसों पर लगाम लगेगी।
वंदे भारत जैसी ट्रेनें नहीं भर पा रहीं फर्राटा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हाई स्पीड वाली ट्रेनों को गति देने का काम वर्ष 2024 के अंत तक पूरा करने का प्रयास है, इसके लिए रेलवे ने फिलहाल दो रुटों का चयन किया है। पहला रूट गाजियाबाद से मुगलसराय और दूसरा रूट दिल्ली से मुंबई है।
वंदे भारत ट्रेनों की 160 किमी प्रति घंटा चलाने की घोषणा तो की गई है लेकिन अभी यह मिशन पूरा नहीं हो पा रहा है, लेकिन पुराने ट्रैक बदलने, फाटकों को खत्म करने, दीवार खींचने जैसे कार्यों को पूरा किए जाने के बाद वांछित गति प्राप्त की जा सकेगी।
दिल्ली हावड़ा ट्रैक पर दौड़ रही 300 ट्रेनें
कानपुर होते हुए दिल्ली-हावड़ा के बीच प्रतिदिन 300 से अधिक सवारी गाड़ियां दौड़ रही हैं और इन ट्रेनों से प्रतिदिन डेढ़ लाख यात्रियों का आवागमन है। ट्रेनों की संख्या अधिक होने के कारण रेल की पटरी का मेंटीनेंस भी नहीं हो पाता है।
क्या बोले अधिकारी
रेलवे बोर्ड ने फाटक मुक्त भारत योजना लागू की है। इसके तहत दो रुटों पर 160 किमी प्रति घंटा की गति से ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रैक के दोनों ओर 70 प्रतिशत दीवार खींची जा चुकी है। मुख्य रेल मार्गों से फाटकों को हटाने का काम चल रहा है। ट्रैक के दोनों ओर जहां जहां घनी आबादी है, वहां हादसों का खतरा रहता है, इसलिए ट्रैक को सुरक्षित किया जा रहा है। - हिमांशु शेखर उपाध्याय, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर मध्य जोन
