Kanpur: हाशिये पर पहुंची बसपा; सिर्फ वोट काटते नजर आई, कई बूथों पर रही शून्य, प्रत्याशी को मिले महज इतने हजार वोट...
अकबरपुर लोकसभा सीट पर भी हुई करारी हार
कानपुर, अमृत विचार। प्रदेश की सत्ता पर कई बार काबिज रहने वाली बहुजन समाज पार्टी कानपुर नगर और अकबरपुर लोकसभा सीट पर हाशिये पर पहुंच गई है। लगातार पार्टी का वोट बैंक भी कम होता जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा का प्रदर्शन महज वोट काटने का ही रहा। कानपुर के बसपा प्रत्याशी को अब तक के सबसे कम वोट (12, 032) मिले हैं। कई बूथों पर तो बसपा शून्य पर रही।
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की पहली बार सरकार तीन जून 1995 को बनी, जिसका कार्यकाल अक्टूबर 1995 तक रहा। इसके बाद बसपा सुप्रीमो ने 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997 तक और तीन मई 2002 से 26 अगस्त 2003 तक राज किया।
फिर 13 मई 2007 से छह मार्च 2012 तक प्रदेश में मायावती का शासन चला, लेकिन इसी बीच हुए लोकसभा चुनाव में कानपुर नगर सीट से बसपा का खाता तक नहीं खुल सका है। वर्ष 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी रहे पवन गुप्ता को 49 हजार 474 वोट मिले थे। वर्ष 2014 में जब बसपा ने सलीम अहमद को मौका दिया तो उन्होंने पवन गुप्ता का रिकार्ड तोड़ते हुए सर्वाधिक 53 हजार 218 वोट हासिल किए थे।
वर्ष 2019 को सपा और बसपा के बीच गठबंधन था। वर्ष 2024 में मायावती ने कानपुर से कुलदीप भदौरिया को टिकट दिया पर उनको 1998 से लेकर वर्ष 2014 में जितने भी प्रत्याशी रहे, सबसे कम वोट ही प्राप्त हुए। कुलदीप भदौरिया मात्र 12 हजार 32 वोट ही जुटा सके। कई बूथों पर उनको शून्य का सामना करना पड़ा। इससे साफ जाहिर है कि पार्टी का वोट बैंक खिसकता जा रहा है। इस बार तो पार्टी की लुटिया ही डूब गई। कानपुर नगर लोकसभा से बसपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई।
अकबरपुर से राजेश द्विवेदी भी रहे फिसड्डी
अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी राजेश द्विवेदी भी चुनाव में कुछ कमाल नहीं दिखा पाए। उनको मात्र 73 हजार 140 वोट ही मिले। जबकि घाटमपुर क्षेत्र में तो मायावती ने जनसभा को संबोधित कर दोनों प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील की थी।
वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां बसपा प्रत्याशी अनिल शुक्ला वारसी को एक लाख 60 हजार 506 वोट मिले थे। 2014 में उनको दो लाख दो हजार 5087 वोट हासिल हुए थे। 2019 में निशा सचान तीन लाख छह हजार 140 वोट जुटाने में कामयाब हुईं थी, लेकिन जीत नहीं सकी थीं।
कानपुर और अकबरपुर में 16 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
कानपुर और अकबरपुर संसदीय सीट पर विजेता और रनरअप को छोड़कर 16 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। दोनों ही सीटों पर बसपा के प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। कानपुर लोकसभा सीट पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें 9 की जमानत जब्त हो गई। वहीं, अकबरपुर लोकसभा सीट पर कुल 9 प्रत्याशियों में से 7 की जमानत जब्त हो गई। कानपुर में प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए 1,47,013 वोटों की जरूरत थी। वहीं अकबरपुर में प्रत्याशी को 1,79,997 वोट चाहिए थे।
अकबरपुर लोकसभा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले की जीत पर भाजपाइयों ने छपेड़ा पुलिया लोकसभा कार्यालय पर पटाखे फोड़कर एक दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया। सांसद पुत्र विकास सिंह भोले ने सभी कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा यह जीत राष्ट्रभक्तों, राम भक्तों, अकबरपुर लोकसभा के देवतुल्य कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का परिणाम है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जिला अध्यक्ष दीपू पांडे, दिनेश राय, एडवोकेट मनोज सिंह, अशोक सिंह दद्दा, शीलू पांडे, विकास मिश्रा, उमेश निगम, सत्येंद्र सिंह, बालेंद्र चंदेल, पप्पू दीक्षित, नीरज राजावत, देबू चौहान, जनक सिंह, रामू चौबे, संतोष कुमार शुक्ल, हर्ष, साहिल साथ रहे।
