Health Tips: डायरिया को न समझें मामूली; हो सकता जानलेवा, डॉक्टर बोले- बारिश के मौसम में रहें सतर्क, इस तरह करें बचाव...

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Published By Deepak Shukla
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एक जुलाई से दो माह का डायरिया रोको अभियान चलेगा

कानपुर, अमृत विचार। बच्चों को यदि दस्त संक्रमण के कारण होता है तो बच्चे में मतली, उल्टी, वजन कम होना, बुखार और खाने की इच्छा न होने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। कई बार जानकारी के अभाव में यह जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को नजरअंदान न करें। खासकर बारिश के मौसम में। बारिश में वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है। इसलिए बचाव के लिए जिले में दो माह तक डायरिया रोको अभियान चलाया जाएगा।

सीएमओ डॉ.आलोक रंजन ने बताया कि बारिश के मौसम में आसपास पानी न जमा होने दें। पानी जमा होने से वायरल, बैक्टीरियल और पैरासिटिक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चों को डायरिया हो सकता है। यह रोग दूषित भोजन और पानी से अधिक होता है। मौसम में रोगाणु अधिक आसानी और तेजी से बढ़ते हैं। इसका एक कारण रोटा वायरस भी है। 

इस बार अभियान की थीम ‘डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान’निर्धारित की गई है। यह अभियान एक जुलाई से 31 अगस्त तक चलेगा, जिसमे पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त प्रबंधन, उपचार और परामर्श पर जोर दिया जाएगा। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर दस्त से ग्रसित बच्चों के परिजनों को ओआरएस घोल बनाने की विधि सिखाएंगी। जिंक के उपयोग के फायदे और स्वच्छता के बारे में भी जानकारी देंगी। सीएमओ ने अपील की है कि यदि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त के लक्षण दिखें तो तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।

इन विभागों का रहेगा सहयोग

अभियान के अंतर्गत ओआरएस पैकेट वजिंक टैबलेट का वितरण फील्ड स्तरीय कार्यकता ( एएनएम व आशा) के माइक्रोप्लान के तहत गृह भ्रमण करके करेंगी। यह अभियान गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी), होम बेस्ड यंग चाइल्ड केयर (एचबीवाईसी), संचारीरोग अभियान व दस्तक अभियान के साथ ही किया जाना है। अभियान को सफल बनाने के लिए आईसीडीएस, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, शिक्षा एवं मिशन जल शक्ति व नमामि गंगे से भी सहयोग लिया जाएगा। इसमे स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।

मलिन बस्ती व मजदूर परिवार पर रहेगा अधिक ध्यान

कार्यक्रम के नोडल अधिकारीवडिप्टी सीएमओ डॉ. राजेश्वरसिंह ने बताया कि अभियान के तहत प्रमुख रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आच्छादित किया जाएगा। मलिन बस्ती, दूर दराज के क्षेत्र, खानाबदोश, मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे आदि पर रहने वाले परिवार पर ध्यान दिया जाएगा। 

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