Exclusive: आरटीओ अफसरों की मेहरबानी से बसों की मनमानी; प्राइवेट बसों के चालकों ने ड्राइविंग की कहां ट्रेनिंग ली है? कोई नहीं जानता
कानपुर, जमीर सिद्दीकी। उन्नाव में आगरा एक्सप्रेस वे पर स्लीपर बस हादसे में 18 लोगों की जान चली गई। सवाल ये है कि ये कोई पहला हादसा नहीं है, आए दिन हादसे हो रहे हैं लेकिन ये कोई देखने वाला नहीं है कि इन बसों को चलाने वाले ड्राइवरों ने कहां से बस चलाने की ट्रेनिंग ली है। लंबी दूरी की बसों को चलाने के लिए बेंगलुरु में ड्राइवरों की विशेष ट्रेनिंग होती है।
इनकी फिटनेस कब तक है, कितने स्लीपर के लिए वैध हैं, इनकी लंबाई कितनी होना चाहिए, इनका परमिट कहां का है, इस प्रकार के तमाम ऐसे सवाल हैं जो प्राइवेट लक्जरी बसों को कटघरे में खड़ा करते हैं। संभागीय परिवहन के अधिकारियों से सेटिंग के चलते न कोई धरपकड़ होती और न कार्रवाई।
संभागीय परिवहन के अधिकारी वैसे तो छोटे वाहनों पर नजरें गड़ाए रहते हैं लेकिन कानपुर नगर में फजलगंज, जरीब चौकी, कोकाकोला चौराहा, झकरकटी बस अड्डा, टाटमिल चौराहा, रामादेवी, नौबस्ता, रावतपुर समेत शहर और देहात तक स्लीपर बसों ने अपने पंजे गड़ा रखे हैं।
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट लग्जरी बसों का सबसे बड़ा हब कानपुर तैयार हो चुका है, यहां से सैकड़ों की संख्या में स्लीपर एसी, नान एसी बसें देश के विभिन्न प्रांतों तक दौड़ रही हैं। कानपुर से दौड़ रही लग्जरी लगभग 300 बसें अहमदाबाद, भीलवाड़ा, जयपुर, बालाजी, दिल्ली, भोपाल, अजमेर, गोरखपुर, वाराणसी, सोनौली, बस्ती, देवरिया, आजमगढ़, मऊ एवं प्रयागराज आदि जिलों में जाती हैं।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न प्रांतों के लिए बसें चलती हैं। इतनी ज्यादा बसें हो गई हैं कि इन बसों के चालकों की कमी हो गई है। 1000 किमी और ज्यादा तक दौड़ रहीं इन बसों में एक एक बस में तीन से चार चालक होते हैं, ऐसे में कभी कभी कंडक्टर या सहायक चालक भी बसों को चलाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
फजलगंज से रामादेवी तक प्राइवेट बसों का हब
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के पास लक्जरी बसें नहीं होने का पूरा लाभ प्राइवेट बसों को मिल रहा है। प्राइवेट बस संचालकों ने फजलगंज को पहले हब बनाया और अब रामादेवी ही नहीं बल्कि महानगर की चारों सीमाओं पर अपने सेंटर खोल दिए हैं।
रोडवेज की बसें जैसे ही सीमा पर सवारी उतारने के लिए रुकती हैं, वहीं सेंटर के युवक सवार हो जाते हैं और लंबी दूरी के यात्रियों का संकलन करते हैं लेकिन इन प्राइवेट बसों के चालक ड्राइविंग में कितने एक्सपर्ट हैं, ये कोई नहीं बता पायेगा क्योंकि ट्रक चलाने वाले चालक भी अब इन लग्जरी बसों को चला रहे हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस कितने परफेक्ट, जांच होनी चाहिए
पावर स्टेयरिंग वाली इन लग्जरी बसों को चलाने के लिये बेंगलुरु में ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन इन चालकों ने क्या ट्रेनिंग सेंटर में ड्राइविंग का प्रशिक्षण लिया है, ये एक बड़ा प्रश्न है। यही कारण है कि आयेदिन हादसे हो रहे हैं। बसों के संचालक कम वेतन पर मिलने वाले चालकों को भर्ती करके यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। कई कई बार चालकों के स्थान पर उनका सहायक बस चलाने लगता है और बस हादसे का शिकार हो जाती है।
जगह-जगह यात्री कलेक्शन सेंटर
प्राइवेट लग्जरी बस संचालकों ने फजलगंज, जरीब चौकी, अफीम कोठी, झकरकटी पुल के पहले, टाटमिल चौराहा के आसपास, रामादेवी चौराहा, नौबस्ता चौराहा, विजय नगर चौराहा समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपना यात्री कलेक्शन सेंटर बना रखा है। प्राइवेट बसों के एजेंट झकरकटी बस अड्डे के अंदर भी मौजूद रहते हैं और जैसे ही सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गोरखपुर, गोंडा, सोनौली, बस्ती, देवरिया, बेल्थरा रोड आदि जिलों की बसें आती हैं, उनमें लंबी दूरी के यात्रियों को उतार लेते हैं। प्रदेश के अधिकतर जिलों के लोग मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत कई प्रांतों के विभिन्न जिलों में कार्य करते हैं जिनका आना-जाना लगा रहता है। रोडवेज की बसें नहीं होने के कारण ये प्राइवेट बसें पूरा लाभ उठा रही हैं।
क्या बोले अधिकारी….
स्लीपर बसों की फिटनेस चेक होगी, उसमें यदि कोई गड़बड़ी मिलेगी तो कार्रवाई होगी। चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस वैसे तो ठीक हैं लेकिन फिर भी जांच की जाएगी।- आलोक कुमार, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, प्रशासन
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