हल्द्वानी: नए Staff के इंतजार में एसएनसीयू... मात्र आठ घंटे ही मिल पा रही सुविधा

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। जन्म से कमजोर बच्चों को स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती करना पड़ता है। शहर के एकमात्र राजकीय महिला अस्पताल में 12 बेड का एसएनसीयू है, जो स्टाफ की कमी की वजह से मात्र आठ घंटे ही चल पा रहा है। अस्पताल प्रशासन पिछले 20 दिन से नए स्टॉफ के आने का इंतजार कर रहा है। स्टॉफ आने के बाद ही एसएनसीयू को संचालित करने का समय बढ़ाया जाएगा।

महिला अस्पताल के एसएनसीयू में केवल उन्हीं बच्चों को भर्ती किया जाता है, जिनकी स्थिति कम गंभीर होती है। ज्यादा गंभीर बच्चों को डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) भेज दिया जाता है। यहां 24 घंटे एसएनसीयू की सुविधा है।

उदाहरण के तौर पर जिन नवजातों को जन्म के तुरंत बाद से दौरे पड़ते हैं, उन्हें ज्यादा समय के लिए एसएनसीयू की जरूरत होती है। एसटीएच में 24 बेड का एसएनसीयू और 12 बेड का एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) है। कुल 32 बेड उपलब्ध हैं। यहां भी हर समय सभी बेड भरे रहते हैं। ऐसे में महिला अस्पताल में जन्म के समय ज्यादा गंभीर नवजातों को निजी अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।

निजी अस्पताल में एसएनसीयू में बच्चों का उपचार काफी महंगा पड़ता है। महिला अस्पताल में गंभीर बच्चों को एसएनसीयू में इसलिए भर्ती नहीं किया जा सकता, क्योंकि यहां आठ घंटे की शिफ्ट लगाने के लिए ही स्टाफ है। अभी छह अन्य लोगों का स्टाफ स्वीकृत हुआ है। स्वीकृति मिले हुए करीब 20 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक स्टाफ को अस्पताल नहीं भेजा गया है। नया स्टाफ आने के बाद यहां 16 घंटे की शिफ्ट में एसएनसीयू चलाया जाएगा। जिससे एसटीएच पर बोझ कम होगा। अस्पताल की सीएमएस डॉ. उषा जंगपांगी ने बताया कि उम्मीद है कि शीघ्र ही नया स्टाफ आ जाएगा।

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