Prayagraj News :एक मंजिल से ऊंची इमारत के रखरखाव में लगा व्यक्ति कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे का हकदार

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक इमारत के निर्माण के दौरान मृत व्यक्ति को मुआवजा देने के संबंध में कर्मचारी की परिभाषा की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 की धारा 2 (डीडी) में कर्मचारियों को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो एक मंजिल से अधिक ऊंची इमारत में निर्माण, रखरखाव, मरम्मत या विध्वंस में कार्यरत हों।

कोर्ट ने उक्त अधिनियम के तहत प्रतिपूर्ति के प्रयोजनों के लिए एक मजदूर को कर्मचारी के दायरे में माना है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की एकलपीठ ने सीमा देवी की अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया। कोर्ट ने माना कि मृतक काम करते समय गिर गया था और उसे घातक चोटें आईं,जिससे उसकी मृत्यु हो गई। अतः कर्मचारी की परिभाषा के अनुसार मृतक कर्मचारी के दायरे में आता है और मुआवजे का हकदार है। मामले के अनुसार अपीलकर्ता का पति दीवार पेंटिंग और मरम्मत का काम कर रहा था, तभी वह इमारत की तीसरी मंजिल से गिर गया और उसकी मौत हो गई, चूंकि मौत नौकरी के दौरान हुई, इसलिए अपीलकर्ता ने कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 1923 की धारा 3 के तहत उस ठेकेदार से ब्याज सहित मुआवजा मांगा,जिसके नीचे अपीलकर्ता का पति कार्यरत था, लेकिन मुआवजे के निर्धारण के लिए मुद्दे तैयार किए बिना कर्मचारी क्षतिपूर्ति आयुक्त, गाजियाबाद ने इस आधार पर अपीलकर्ता के दावे को खारिज कर दिया कि पक्षकारों के बीच नियोक्ता-कर्मचारी संबंध मौजूद नहीं था।

आयुक्त के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने वर्तमान याचिका दाखिल की और तर्क दिया कि ठेकेदार ने मरम्मत और पेंटिंग कार्यों के लिए मृतक को काम पर रखने की बात स्वीकार की थी, इसलिए उसकी दावा याचिका को आयुक्त द्वारा गलत तरीके से खारिज किया गया है। अंत में कोर्ट ने मृतक को कर्मचारी मानते हुए उचित मुआवजे का हकदार माना।

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