कानपुर पहुंचें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़: बोले- शिक्षा से सामाजिक विकार दूर होते, बच्चों को माता-पिता का करना चाहिए सम्मान

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। शिक्षा एक ऐसी ताकत है जिससे समाज के सभी विकार दूर होते हैं। समाज में प्रतिभा हर वर्ग में है। इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रामीण आंचल और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों तक भी पहुंचनी चाहिए।

कॉरपोरेट घरानों से यह मेरी अपील है कि वे अपने सीएसआर फंड के जरिए ऐसी व्यवस्था करें जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रामीण इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तक भी पहुंचे। यह कहना है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का। वे रविवार को कैंट स्थित सेठ आनंदराम जैपुरिया स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे।

समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान व सांसद रमेश अवस्थी भी मौजूद रहे। समारोह की शुरुआत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से पौधरोपण के जरिए 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के साथ हुई।

समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा जीवन को बेहतर बनाती है। शिक्षा पर सभी का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा मानना है कि समानता लाने के लिए शिक्षा सबसे परिवर्तनकारी तंत्र है। बच्चों में सीखने के प्रति जिज्ञासा होनी चाहिए। उन्हें असफलता से नहीं डरना चाहिए। जीवन में असफलताएं ही हैं जो हमें बहुत कुछ सिखाती हैं।

उपराष्ट्रपति ने बच्चों को शिक्षा सिर्फ डिग्री के लिए हासिल न करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि पहले अभिभावक बच्चों का आकलन सिर्फ उनकी अंकतालिका के आधार पर करते थे। अब पिछले 10 सालों से स्थितियां काफी बदली हैं।

देश विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में अब शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित न होकर व्यक्तित्व विकास का स्वरूप है। नई शिक्षा नीति इसका प्रत्यक्ष उदाहण है। उन्होंने स्कूल के तीन उत्कृष्ट विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया। इनमें ईशा अग्रवाल, आकर्ष ओमर और वेदिका गुप्ता शामिल हैं।

बच्चे व्यवहार भी अच्छा करें

उपराष्ट्रपति ने बच्चों को खुद का व्यवहार सुधारने की भी सीख दी। कहा कि आप उम्र के साथ-साथ ऐसा व्यवहार करें जिससे आपका ज्ञान खुद झलके। बच्चों को चाहिए कि वे अपने माता-पिता के प्रति समर्पण की भावना रखें, गुरुजनों के सामने अनुशासित रहें। बच्चों को सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने की सीख दी।

कहा कि वे जितना कम समय सोशल मीडिया व मोबाइल में खर्च करेंगे उतना समय वे खुद को सामाजिक रूप से अपडेट करने के लिए दे सकते हैं। बच्चे मन में एक जिज्ञासा रखें जो मन में है वही काम करें, सफलता जरूर मिलेगी। बच्चों को नवाचार अपनाने की सीख दी गई। उन्होंने कॉरपोरेट और इंडस्ट्रियल सेक्टर से नवाचारों को सहयोग करने की भी अपील की।

विरासत को संजोए नई संसद

बच्चों को बताया कि नई संसद हमारी 5 हजार वर्ष पुरानी विरासत को संजोए हुए हैं। उन्होंने स्कूली बच्चों से कहा कि वे जब भी संसद भवन आएं तो उसे विस्तार से देखें। नई संसद भवन में हमारे देश की पूरी विरासत संजोकर रखी गई है।

छात्र जीवन में लक्ष्य होना जरूरी : राज्यपाल

छात्र जीवन से ही लक्ष्य का निर्धारण करना बेहद जरूरी है। यदि लक्ष्य का निर्धारण नहीं है तो जीवन के एक पड़ाव में भटकाव आना संभव हो सकता है। इस भटकाव से बचने के लिए एकग्रता के साथ लक्ष्य को जरूर निर्धारित करें।

यह विचार रविवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने व्यक्त किए। वे सेठ आनंदराम जैपुरिया स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। शिक्षकों को चाहिए कि वे शिक्षा व संस्कार के साथ ही छात्रों के चरित्र निर्माण का कार्य भी बेहतरी के साथ करें।

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। असफलता और सफलता यह जीवन के हिस्से हैं। असफलता से सकारात्मक सीख लें। उन्होने स्कूली बच्चों को आत्मविश्वास बनाए रखने की भी सीख दी। हर वक्त खुद की क्षमता पर भरोसा रखना चाहिए। योजना और विचार हमेशा सकारात्मक होने चाहिए।

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