Exclusive: कानपुर में सीएसए यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने बनाया कमल के तने से रेशे निकालने वाला उपकरण, दुबई की कंपनी ने उपकरण खरीदने में दिखाई रुचि
कानपुर, राजीव त्रिवेदी। कमल के तने से रेशे निकालकर रेशम जैसा नायाब धागा बनाने के कठिन काम को आसान बनाने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. रितु पाण्डेय ने एक आसान उपकरण बनाया है, जो हाथ के मुकाबले 10 गुना तेजी से कमल के तने से रेशे निकालने में सक्षम है। उनकी तकनीक और उपकरण को पेटेंट मिल चुका है। उपकरण के उत्पादन को लेकर प्रयास अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि यह उपकरण 'कमल सिल्क' प्राप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी साधन साचित हो सकता है।
ऐसा माना जाता है कि बेहतरीन और नायाब रेशम कीड़ों से नहीं बल्कि कमल के तने से निकाले जाने वाले रेशों से बनता है। लेकिन यह तरीका बेहद कठिन होने से गिने-चुने लोग ही इस काम को अंजाम दे पाते हैं। दुनिया में सिर्फ चार देशों भारत, वियतनाम, कंबोडिया और म्यांमार में कमल के रेशों से रेशम बनाई जाती है।
कमल के तने से रेशे निकालने के लिए लकड़ी की मेज का इस्तेमाल किया जाता है। इस पर पहले पानी छिड़का जाता है। इसके बाद हाथों के कमाल से कमल के तने से रेशे निकाले जाते हैं। इन रेशों की मेज पर पर्त बनती हैं, जिन्हें हाथों से ऐंठकर धागा तैयार किया जाता है, फिर इसी धागे से कपड़े बनते हैं जो काफी टिकाऊ माने जाते हैं। प्रो. रितु पाण्डेय ने हस्तशिल्पियों के लिए इसी प्रक्रिया को आसान और गतिमान बनाया है। उन्होंने बताया कि उपकरण की सहायता से एक बार में एक दर्जन रेशे निकाले जा सकते हैं। इसे बिना बिजली के भी चलाया जा सकता है। दुबई की एक कंपनी ने इस उपकरण की खरीद को लेकर अभिरुचि प्रदर्शित की है।
फिलहाल 'एल लोटस' नामक इस उपकरण का शहर में ही उत्पादन शुरू करने के संबंध में प्रयास चल रहे हैं। जरूरी अनुमति मिलते ही उपकरण को बाजार में उतारने का काम शुरू कर दिया जाएगा। उत्पादन के लिए एमओयू की प्रक्रिया शुरू की गई है। डॉ. रितु पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने इस तकनीक वर्ष 2016 में शोध शुरू किया था। उनकी तकनीक से तैयार उपकरण छोटे आकार के होने से एक हाथ से चलाया जा सकता है। इसकी मदद से तीन मिनट में कमल के तने से सौ ग्राम रेशे निकाले जा सकते हैं, अभी इतने रेशे हाथ से निकालने में लगभग आधे घंटे समय लगता है।