महाकुंभ 2025 : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मोरारी बापू के श्रीमुख से हो रही कथा का किया रसपान
अमृत विचार, प्रयागराज : भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सविता कोविंद और बेटी स्वाति कोविंद महाकुंभ के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, प्रयागराज पहुंचे। यहां उन्होंने चल रही मोरारी बापू के श्रीमुख से हो रही कथा का रसपान किया। इस मौके पर उनका परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, स्वामी संतोषदास जी (सतुआ बाबा), साध्वी भगवती सरस्वती ने स्वागत किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती ने पूरे कोविंद परिवार का इलायची की माला पहनाकर अभिनन्दन किया।
राष्ट्रसंत पूज्य मोरारी बापू ने रामनाथ कोविंद के साथ अपनी पुरानी स्मृतियों का स्मरण करते हुए कहा कि आपके सान्निध्य में बिताए दृश्य अद्भुत और अलौकिक हैं। आज भी मुझे याद है, जब आप गुरूकुल आए थे। सभी व्यवस्थाए एक ओर थीं, पर आपकी आस्था एक ओर थी। आपने हमारे पूरे गांव को कहा था कि यदि कभी दिल्ली आओ तो कहीं और मत रुकना, राष्ट्रपति भवन में रुकना। इस प्रकार आपने राष्ट्रपति भवन को राष्ट्र भवन के रूप में सभी को दर्शन कराए। साधु संग माननीय राष्ट्रपति के लिए सदैव प्रथम रहा हैं। माननीय श्री रामनाथ कोविंद ने इस महाकुंभ व मानस संगम के अलौकिक कार्यक्रम में पूज्य बापू, पूज्य स्वामी जी, पूज्य साध्वी जी और सभी श्रद्धालुओं का अभिवादन करते हुए कहा कि आप सब मेरा परिवार हैं।
मेरे मन में एक ही बात है कि बापू की श्रीराम कथा श्रृंखला की 950वीं कथा है। यह एक सुखद संयोग है और हम एक हजार श्रीराम कथाओं तक पहुंचने की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैने देखा है कि हम श्रीराम को मानते हैं, उनके चरित्र को मानते हैं, उनके चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं, उनकी शिक्षाओं को जानने का प्रयास करते हैं, लेकिन राम की नहीं मानते हैं। मानने में हम सभी लोग पहले हैं, परंतु जहाँ राम की बात मानने की बात आती है, वहां हम थोड़े से झिझकने लगते हैं। यह एक चुनौती है और इसे कैसे हम अपने जीवन में लाएं। इसके लिए हमें धीरे-धीरे चलते रहना होगा। चरैवेति चरैवेति ताकि प्रभु श्रीराम का चरित्र हम सब के जीवन में आए। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पूज्य बापू सनातन की परम ज्योति हैं। उन्होंने जिसे छू लिया, उसे अपना बना लिया। बापू का जीवन सदैव सेतु निर्माण करता रहा और इसके लिए उन्होंने अनेक संघर्ष झेले। वे अपनी हर श्वास को पूरे विश्वास के साथ जी रहे हैं।
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