Kanpur: जनप्रतिनिधि बनाने में जुटा भाजपा का संगठन, 2 नाम तय, 3 के लिये जिलाध्यक्ष के दावेदारों की परिक्रमा जारी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
On

चौंकाने वाला हो सकता है नाम, 24-25 के बीच जारी होगी सूची

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर जिलाध्यक्ष का चुनाव रोचक हो गया है। इस बार चुनाव में जनप्रतिनिधि और संगठन आमने सामने है। भाजपा में अभी तक चली आ रही संगठन प्रथा में सेंध से विरोध है। मौजूदा पद पर बैठे पदाधिकारी इस प्रक्रिया का खुलकर विरोध कर रहे हैं तो वहीं, जो लोग नए दावेदार है और अभी तक की रणनीति को समझ चुके हैं वह अपने जन प्रतिनिधियों के यहां परिक्रमा करने में जुटे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार 24-25 जनवरी को कानपुर उत्तर, दक्षिण और ग्रामीण में एक-एक कर जिलाध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है। ऐसे में कोई चौकाने वाला नाम सामने आए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। 

भाजपा उत्तर, दक्षिण और ग्रामीण में 5-5 दावेदारों का पैनल तैयार है। 5 में 2 तो हर जिले से वर्तमान और निवर्तमान दावेदार है। 3 नये नाम जनप्रतिनिधियों के यहां परिक्रमा लगा रहे हैं। उत्तर ईकाई में दीपू पांडेय के साथ निवर्तमान जिलाध्यक्ष सुनील बजाज के साथ संतोष शुक्ला, अनिल दीक्षित और जगदीश तिवारी का नाम है। सूत्र कहते हैं कि यहां पैरवी तेजी से हो रही है। दीपू पांडेय को अपनी टीम बनाने का मौका नहीं मिल पाया है इसलिये यहां उन्हें फिर से मौका पार्टी दे सकती है। लेकिन, अंदरखाने पार्टी जिलाध्यक्ष को दिये गये कामों पर भी रिपोर्ट तैयार कर रही है। 

ऐसे में यहां फेल हुये तो किसी नये चेहरे को भी पार्टी जिलाध्यक्ष बना सकती है। दूसरी ओर दक्षिण ईकाई में शिवराम सिंह के साथ निवर्तमान जिलाध्यक्ष वीना आर्या पटेल भी जिलाध्यक्षी की दौड़ में है। यहां 3 अन्य नाम प्रबोध मिश्रा, राकेश तिवारी और पंकज गुप्ता हैं। शिवराम भी अपनी टीम नहीं बना सके, काम के मामले में शिवराम सिंह अव्वल रहे हैं कई बार प्रदेश नेतृत्व उनकी पीठ थपथपा चुका है। शिवराम सिंह की जनप्रतिनिधियों में भी ठीक पैठ है। 

इसलिये दक्षिण में रिपीट जिलाध्यक्ष होने की प्रबल संभावना बनी हुई है। वहीं, ग्रामीण में दिनेश कुशवाहा के साथ निवर्तमान जिलाध्यक्ष कृष्ण मुरारी शुक्ला दावेदार हैं। यहां पैनल के अन्य 3 नामों में उपेंद्र पासवान, पवन प्रताप सिंह और अरुण पाल हैं। यहां भाजपा के सूत्र कहते हैं कि दिनेश कुशवाहा की सीट जाना तय है। काम के आधार पर वह फिसड्डी साबित हुये हैं। सूत्र यह भी कहते हैं कि यहां कोई चौकाने वाला नाम सामने आ सकता है। पार्टी जातीय समीकरण पर भी चर्चा कर रही है। कुल मिलाकर इस बार संगठन और जनप्रतिनिधियों में किसका पलड़ा भारी रहता है, देखने वाली बात होगी।

यह भी पढ़ें- Kanpur में फोन हैककर लाखों ठगे: साइबर ठग ने कॉल पर क्रेडिट कार्ड लेने को कहा, फिर फोन हैक करके उड़ाए सात लाख


संबंधित समाचार