76वें गणतंत्र दिवस पर बोले खरगे- असहमति का गला घोटना सरकार की एकमात्र नीति, ‘एक राष्ट्र, एक पार्टी’ थोपने का प्रयास

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को 76वें गणतंत्र दिवस की शुभकामानाएं दीं और आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा संविधान पर हमला तथा संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है और असहमति का गला घोटना सरकार की एकमात्र नीति बन गई है। उन्होंने यह दावा भी किया कि अनेकता में एकता में विश्वास करने वाले इस देश में ‘एक राष्ट्र, एक पार्टी’ थोपने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।

खरगे ने गणतंत्र दिवस पर एक शुभकामना संदेश में स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया तथा सशस्त्र बलों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, किसानों, मजदूरों और राष्ट्र निर्माण में लगे अन्य वर्गों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि आज इस बात पर विचार करने का भी समय है कि देश संविधान पर लगातार हो रहे हमलों का गवाह कैसे बन रहा है। खरगे ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने दशकों से सावधानीपूर्वक बनाई गई हमारी संस्थाओं का लगातार पतन किया है तथा स्वायत्त संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप एक आम बात हो गई है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘संस्थाओं की स्वतंत्रता पर नियंत्रण रखने को एक गुण के रूप में देखा जा रहा है। संघवाद को रोजाना कुचला जा रहा है और विपक्ष शासित राज्यों के अधिकारों में कटौती की जा रही है। सत्तारूढ़ सरकार की दमनकारी प्रवृत्ति के कारण संसद की कार्यप्रणाली में जबरदस्त गिरावट देखी गई है।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालयों और स्वशासी संस्थानों में लगातार घुसपैठ देखी जा रही है। मीडिया के एक बड़े हिस्से को सत्तारूढ़ दल के प्रचार उपकरण के रूप में बदल दिया गया है। प्रतिशोध के तहत विपक्षी नेताओं के पीछे पड़कर असहमति का गला घोटना सत्ता में बैठे लोगों की एकमात्र नीति बन गई है।’’

उनके अनुसार, पिछले एक दशक के दौरान धार्मिक कट्टरवाद में डूबे एक शातिर, घृणित एजेंडे ने समाज को विभाजित करने की कोशिश की है। खरगे ने दावा किया, ‘‘अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, और जो धर्मनिरपेक्ष हैं उन्हें ‘गोएबल्स की शैली वाले दुष्प्रचार’ के रंग से कलंकित किया जा रहा है। कमजोर वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, गरीबों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जा रहा है। उनके ख़िलाफ़ अत्याचार और अनसुनी हिंसा एक नियमित घटना बन गई है।’’

उन्होंने कहा कि मणिपुर 21 महीने से जल रहा है, लेकिन सत्ता के शीर्ष पदों पर कोई जवाबदेही नहीं है। खरगे के अनुसार, ‘‘आर्थिक असमानता भयावह अनुपात तक बढ़ गई है। देश के बहुमूल्य संसाधनों को अरबपति मित्रों को सौंपा जा रहा है। जो भी घोटाला सामने आता है, उसे खुलासा करने वालों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देकर दबाने की कोशिश की जाती है।

सत्तारूढ़ दल छद्म राष्ट्रवाद पर अमल करता है, क्योंकि वे हमारे वंचित युवाओं को 'राष्ट्रवाद' और ‘धार्मिक सर्वोच्चता’ का झंडा उठाने के लिए मजबूर करते हैं लेकिन उन्हें रोजगार दिलाने के लिए कुछ नहीं करते हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि देश आर्थिक उथल-पुथल के दौर में जी रहा है तथा कर के माध्यम से गरीबों और मध्यम वर्ग की मेहनत की कमाई का एक-एक पैसा हड़प लिया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारी जनता के जीवन स्तर में शायद ही वृद्धि हुई है क्योंकि गलत आर्थिक नीतियों ने उनकी बचत को ख़त्म कर दिया है। वे मुट्ठी भर संभ्रांत लोग जो उज्ज्वल भविष्य का खर्च उठा सकते हैं, भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं।’’ खरगे ने दावा किया कि जब केंद्र सरकार की विफलताओं को इंगित किया जाता है, तो सत्ता में बैठे लोग या तो बातों में लग जाते हैं या ध्यान भटकाने वाली रणनीति अपनाते हैं, अक्सर अतीत का हवाला देते हैं, लेकिन वर्तमान की कभी बात नहीं करते।

उनके मुताबिक, ‘अनेकता में एकता’ में विश्वास रखने वाले 140 करोड़ लोगों पर ‘एक राष्ट्र, एक पार्टी’ थोपने की प्रवृत्ति दिखती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि संविधान के प्रत्येक पवित्र हिस्से को एक सत्तावादी शासन द्वारा टुकड़ों में विभाजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि हम अपने संविधान के विचारों और आदर्शों - न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को संरक्षित और संरक्षित करें। हम अपने राष्ट्र निर्माताओं द्वारा अपनाए गए मूल्यों को कायम रखते हैं। संविधान की रक्षा के लिए हर बलिदान देने को तैयार रहें। यही हमारे पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’ 

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