मुरादाबाद : याद रही बस भारत माता, अपनी मां को भूल गए...सुप्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ. प्रदीप शर्मा को मिला कला साधक सम्मान

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Published By Bhawna
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हिन्दी साहित्य संगम की ओर से वसंत पंचमी पर सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर के प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ. प्रदीप शर्मा को साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार को मिलन विहार स्थित सनातन धर्मशाला में आयोजित समारोह में कला साधक सम्मान से अलंकृत किया गया। राघव अग्रवाल के द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की।

मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि हरि प्रकाश शर्मा, धवल दीक्षित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। सम्मान में. डॉ. प्रदीप शर्मा को अंग वस्त्र, मान पत्र, स्मृति चिह्न एवं श्रीफल भेंट किया गया। डॉ. प्रदीप शर्मा का जीवन-परिचय राजीव प्रखर तथा मान पत्र का वाचन जितेन्द्र जौली ने किया। डॉ. प्रदीप शर्मा की रंगमंच यात्रा पर विचार रखते हुए महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी ने कहा - महानगर का सौभाग्य है कि डॉ. प्रदीप शर्मा के रूप में रंगमंच का एक ऐसा अनमोल रत्न उपलब्ध है जिसकी चमक से आने वाले लंबे समय तक समाज लाभान्वित होगा। 

सम्मान समारोह के बाद काव्य गोष्ठी भी हुई। जिसमें उपस्थित रचनाकारों ने अपनी मनभावन रचनाओं से वसंत पंचमी पर रंग जमाया। राजीव ''प्रखर'' ने कहा - बैर भाव-विद्वेष का, कर भी डालो अंत। पीली चुनरी ओढ़कर, कहता यही वसंत। छेड़े सम्मुख माघ के, कोकिल मीठी तान। सरसों भी कुछ कम नहीं, फेंक रही मुस्कान।। योगेन्द्र वर्मा व्योम ने - पीत-पत्र बन झर गए, सभी कष्ट-अवसाद। किसलय जब करने लगे, वासंती अनुवाद सुनाया। जितेन्द्र जौली ने स्वच्छता अभियान में, इतना करिये दान। शौचालय घर में बना, साफ रखो मैदान.. सुनाया। मीनाक्षी ठाकुर ने पीली सरसों नाच रही है मस्त मगन बिन साज के। पीत-वसन, सुरभित आभूषण, ठाठ बड़े ऋतुराज के सुनाकर वसंत ऋतु का महत्व बताया।

राशिद सैफ़ी ने ये जो साहित्य कला के रखवाले हैं, सब प्रदीप जी के ही चाहने वाले हैं। अशोक विद्रोही ने वर्तमान जनमानस को चेताया - रंग दे वसंती चोले की धुन में, वे सब कुछ भूल गए। याद रही बस भारत माता, अपनी मां को भूल गए । श्रीकृष्ण शुक्ल ने संस्कारों के कृष्ण अब, बदल गये भावार्थ, चरण वंदना में निहित केवल कोई स्वार्थ की प्रस्तुति दी। वीरेन्द्र ब्रजवासी ने दो-दो घरों की आन, निभाती बेटियां हैं, एक कुल से दूसरे कुल में समाती बेटियां हैं। इसके अलावा बाबा संजीव आकांक्षी, डॉ. मनोज रस्तोगी, विवेक निर्मल, पल्लवी शर्मा, ओंकार सिंह ओंकार, हरि प्रकाश शर्मा, कंचन खन्ना, कृष्ण औतार, अक्षेन्द्र सारस्वत, नकुल त्यागी, दीप्ति खुराना, राजीव गुर्जर, मंगू सिंह आदि ने भी डा. प्रदीप शर्मा को शुभकामनाएं दी।

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