Lucknow Tiger News : 70 दिन से पिंजरा कर रहा इंतजार, 19वें शिकार को बाघ बेकरार

Amrit Vichar, Malihabad : बहराइच जिले में कुछ दिन पहले जहां भेड़ियों का आंतक देखने को मिला था, तो वहीं अब लखनऊ से सटे मलिहाबाद सर्किल में बाघ की चहलकदमी ने ग्रामीणों से साथ ही वनविभाग को हैरान और परेशान कर रखा है। 70 दिन से बाघ वनविभाग कर्मियों के सिर पर दर्द बन चुका है। बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिए वनविभाग रोजाना कोशिश कर रहा है, लेकिन बाघ विशेषज्ञों को गच्चा दे रहा है। 18वें शिकार के बाद पिछले पांच दिन बाघ 19वें शिकार की तलाश में घनी व मिश्रित आबादी के बीच घात लगाए बैठा है।
गांव में छाया अघोषित कर्फ्यू सा सन्नाटा
दरअसल, रहमानखेड़ा जंगल से सटे करीब 60 गांवों के बाशिंदे बाघ की दहशत से दिन का चैन और रातों की नींद गंवा चुके हैं। वनमंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने बाघ को सुरक्षित पकड़ने का निर्देश दिया है। ऐसे में बाघ को पकड़ने और उसके मूवमेंट को ट्रेस करने में वनविभाग के अबतक किये गए सभी इंतजाम धरे के धरे रह गए। लगभग 70 दिन से वनविभाग का समीक्षा बैठकों का दौर बदस्तूर जारी है। बावजूद इसके बाघ वनविभाग की पकड़ से कोसों दूर है। रहमानखेड़ा और आसपास के गांवों में शाम होते ही अघोषित कर्फ्यू सा सन्नाटा छाया रहता है। रविवार को रहमानखेड़ा जोन एक और तीन में बाघ के नए पगचिन्ह मिले हैं। जिसके बाद बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने कांबिंग की, फिर भी बाघ का ठिकाना नहीं मिला। डीएफओ सिंताशु पाण्डेय ने बताया कि बाघ की लोकेशन ट्रेस करने के लिए दो थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। संवेदनशील गांव में मुनादी पीटकर जन-जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
वनमंत्री का आदेश को किया दरकिनार
ग्राम प्रधान मीठे नगर रवि यादव का कहना है कि रहमानखेड़ा जंगल व उसके आसपास रोजाना बाघ के नए-नए पगचिन्ह मिल रहे हैं। 70 दिन से भी ज्यादा वनविभाग बाघ को पकड़ने के लिए खानापूर्ति कर रहा है। बताया कि हाल ही में वनमंत्री ने बाघ प्रभावित क्षेत्रों को निरीक्षण कर रात में ग्रामीणों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने के लिए गाड़ी से भेजने की बात की थी, लेकिन वनविभाग ने वनमंत्री के आदेश को दरकिनार कर किसी तरह की ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं की है। वहीं, ग्रामीण हरिश्चंद्र गौतम ने बताया कि सहागलों का दौर जारी है, बाघ के डर से निकटतम गांव में जाने के लिए 10 किलोमीटर घूमकर जाना पढ़ रहा है। मीठेनगर गांव निवासी मनोज यादव ने बताया कि वनविभाग को ग्रामीणों की कतई चिंता नहीं है। डीएफओ और एसडीओ खुद बाघ की दहाड़ सुन चुके हैं लेकिन फिर भी बाघ छलावा बना हुआ है।
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